अर्थव्यवस्था

भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक झटके सहने में सक्षम : RBI गवर्नर

दास ने कहा है कि वैश्विक झटकों और चुनौतियों को देखते हुए भारत की अर्थव्यवस्था की तस्वीर लचीली नजर आती है।

Published by
मनोजित साहा
Last Updated- December 30, 2022 | 12:28 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि वैश्विक अनिश्चितताओं और झटकों के बीच वित्तीय स्थिरता और बेहतरीन पूंजी वाले बैंकिंग क्षेत्र के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था लचीली बनी हुई है।

वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट की प्रस्तावना में दास ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था को चुनौती मिली है। विश्व के ज्यादातर देशों में मौद्रिक सख्ती के कारण वित्तीय बाजारों में उतार चढ़ाव की स्थिति रही है। खाद्य एवं ऊर्जा की कीमतों और आपूर्ति को लेकर दबाव रहा है। तमाम उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के सामने कर्ज का बोझ बड़ी चुनौती रही है। हर अर्थव्यवस्था को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।’

दास ने कहा,  ‘इस तरह के वैश्विक झटकों और चुनौतियों को देखते हुए भारत की अर्थव्यवस्था की तस्वीर लचीली नजर आती है। वित्तीय स्थायित्व बरकरार रखा गया है।’

उन्होंने कहा कि घरेलू वित्तीय बाजारों में भी स्थिरता रही और पूरी तरह कामकाज हुआ, साथ ही बैंकिंग व्यवस्था में पर्याप्त पूंजी मौजूद है। गैर बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र ने भी इन चुनौतियों से निपटने में कामयाबी पाई है।

एफएसआर में कहा गया है कि लचीलेपन की वजह से अर्थव्यवस्था को मदद मिली है और बाहरी झटकों खासकर लंबे समय से चल रहे भू-राजनीतिक अस्थिरता से अप्रभावित रहने में मदद मिली। यह भी उल्लेख किया गया है कि विपरीत वैश्विक परिस्थितियों के प्रति अर्थव्यवस्था संवेदनशील बनी हुई है, जो घरेलू आर्थिक हालात की राह में बाधा के रूप में काम करती है।

उन्होंने कहा, ‘एफएसआर के इस अंक में प्रस्तुत तनाव परीक्षण के परिणाम से संकेत मिलता है कि बैंक दबाव की स्थिति का सामना करने में भी सक्षम होंगे।’ उन्होंने कहा कि अत्यंत खराब वैश्विक विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भारत का विदेशी खाता सुरक्षित और व्यवहार्य बना हुआ है।

रिपोर्ट में 2023 की धूमिल तस्वीर पेश की गई है, जिसके मुताबिक वैश्विक वृद्धि घटकर 2.7 फीसदी रहने की संभावना है। विकसित अर्थव्यवस्थाओं (एई) और उभरते बाजारों व विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (ईएमडीई) में उल्लेखनीय मंदी रहने की संभावना जताई गई है। वैश्विक व्यापार की मात्रा भी 2021 के 10.1 प्रतिशत से गिरकर 2022 में 4.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

साल 2022 में महंगाई दर बढ़कर 8.8 प्रतिशत पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। विकसित और विकासशील दोनों अर्थव्यवस्थाओं में खुदरा और प्रमुख दोनों महंगाई अधिक रहने की संभावना है।

भारत में महंगाई के बारे में एफएसआर में कहा गया है कि मौद्रिक नीतियों की वजह से सीपीआई महंगाई दर केंद्रीय बैंक द्वारा तय सीमा 2 से 6 प्रतिशत के भीतर रहने की संभावना है। इसमें कहा गया है कि खुदरा महंगाई कम होगी, लेकिन प्रमुख महंगाई बढ़ने के दबाव के कारण इस पर असर पड़ सकता है।

घरेलू बैंकिंग प्रणाली के मुनाफे और पूंजी के स्तर में सुधार को स्वीकार करते हुए एफएसआर में कहा गया है कि वैश्विक बाजार में अनिश्चितता और अस्थिरता बढ़ने के कारण घरेलू वित्तीय बाजार अस्थिर बने हुए हैं। इसमें कहा गया है कि मौजूदा माहौल में वृहद आर्थिक और वित्तीय स्थिरता बनाए रखना सुधार को समर्थन देने, वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने और भारत की दीर्घावधि क्षमता में वृद्धि के लिए अहम है।

First Published : December 30, 2022 | 12:28 PM IST