प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर
भारत और ब्रिटेन के बीच हस्ताक्षरित मुक्त व्यापार समझौते के तहत जिन व्यापार लाभों के लिए सहमति बनी है, उन्हें अगर ब्रिटेन का कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (सीबीएएम) कमजोर करेगा तो भारत सरकार उचित कदम उठाएगी।
दोनों देशों द्वारा गुरुवार को हस्ताक्षरित व्यापार समझौते में इस बात का कोई उल्लेख नहीं है कि ब्रिटेन के जनवरी 2027 में लागू होने वाले सीबीएएम से किस प्रकार निपटा जाएगा। हालांकि भारत ने इस मुद्दे पर लगातार चिंता जताई और प्रस्तावित लेवी के तहत सुरक्षा उपायों की मांग की है। मगर ब्रिटेन का कहना है कि सीबीएएम को एफटीए में शामिल नहीं किया जा सकता है क्योंकि लेवी फिलहाल लागू नहीं हुई है और वह प्रारंभिक चरण में है।
अगर सीबीएएम के कारण व्यापार समझौते के दायरे में आने वाले उत्पादों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा तो भारत यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएगा कि व्यापार समझौते के तहत प्रदान की गई बाजार पहुंच में कमी न होने पाए। एक अधिकारी ने कहा, ‘अगर सीबीएएम लागू किया जाता है और वह समझौते के तहत भारत के व्यापार लाभों को प्रभावित करता है तो भारत के पास उसे नए सिरे से संतुलित करने की आजादी होगी। नोट वर्बेल में इसका उल्लेख कर दिया गया है।’ नोट वर्बल दोनों सरकारों के बीच एक राजनयिक संचार है। उन्होंने कहा कि भारत रियायतें वापस ले सकता है और आवश्यकता पड़ने पर इसके लिए एक तंत्र की व्यवस्था की जा सकती है।
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ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते से भारत अपनी टैरिफ किंग यानी अधिक शुल्क वाले देश की छवि से भी छुटकारा पाने की कोशिश कर रहा है। अमेरिका ने बार-बार भारत को टैरिफ किंग कहा है।
व्यापार समझौते को व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौता (सीईटीए) नाम दिया गया है। इसका लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 56 अरब डॉलर से दोगुना करना है। इस व्यापार समझौते के तहत भारत से ब्रिटेन को होने वाले 99 फीसदी निर्यात शुल्क मुक्त हो जाएंगे, जबकि ब्रिटेन से 90 फीसदी आयात पर कोई शुल्क नहीं लगेगा। सीईटीए ब्रिटेन से आयातित वस्तुओं पर भारत के लागू औसत व्यापार शुल्क को 15 से घटाकर 3 फीसदी कर देगा।
दोनों देशों द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद यह व्यापार समझौता प्रभावी हो जाएगा। भारत के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस समझौते को मंजूरी दे दी है, जबकि ब्रिटेन की संसद से मंजूरी लेनी अभी बाकी है। इस प्रक्रिया में करीब एक साल का समय लग सकता है। भारत सरकार इस दौरान निर्यातकों को इस समझौते की जानकारी देने और इसका फायदा उठाने के तरीकों के बारे में बताने की योजना बना रही है। वाणिज्य सचिव सुनील बड़थ्वाल ने कहा कि मुक्त व्यापार समझौते के तहत शुल्क रियायतों का लाभ केवल हितधारकों की भागीदारी से ही प्राप्त किया जा सकता है।
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एक अन्य अधिकारी ने बताया कि व्यापार समझौता भारत के अनिवार्य लाइसेंस जारी करने के अधिकार को कमजोर नहीं करता है और न ही उन्हें जारी करने के लिए कोई नई पूर्व शर्तें जोड़ता है। अधिकारी ने कहा कि ऐसे लाइसेंस जारी करने का संप्रभु अधिकार पूरी तरह से भारत सरकार के पास होगा।
अधिकारी ने कहा, ‘समझौते में स्वैच्छिक लाइसेंस का जिक्र केवल वैश्विक स्तर के बेहतरीन चलन को स्वीकार करता है जो सहयोगात्मक समाधान को प्रोत्साहित करते हैं।’