ब्रिटेन के उद्योग मंत्री ग्रेग हैंड्स ने कहा कि भारत और ब्रिटेन नीतिगत क्षेत्रों के 25 में से 16 अध्यायों पर सहमति पर पहुंच गए हैं। हैंड्स ने कहा कि वह ऐसा समझौता चाहते हैं जो पारस्परिक लाभ पहुंचाने वाला और निष्पक्ष हो। मंत्री ने संसद में कहा कि भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापार समझौते पर अगले दौर की बातचीत जल्द होने की उम्मीद है।
दोनों पक्षों ने 24 अक्टूबर यानी दीपावली तक समझौते का लक्ष्य रखा था, लेकिन यह अंतिम तिथि बीत चुकी है। व्यापार समझौते में कुछ मसलों का समाधान नहीं हो सका है। ब्रिटेन में राजनीतिक अस्थिरता के अलावा मंदी का भी डर है, साथ ही भारत के लोगों के ब्रिटेन पहुंचने को लेकर एक मंत्री ने विवादास्पद बयान भी दिया था और व्यापार समझौते को लेकर संदेह जताया था।
अब भारतीय मूल के ऋषि सुनक ने मंगलवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का पदभार संभाल लिया है। ऐसे में बातचीत के गति पकड़ने की संभावना है। समझौते को पूरा करने की अगली तिथि की घोषणा अभी बाकी है। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने पिछले सप्ताह खबर दी थी कि 2023 के मध्य के पहले बातचीत को अंतिम रूप दिए जाने की संभावना नहीं है।
हैंड्स ने बुधवार को संसद में कहा, ‘भारत के साथ एफटीए सरकार की वृद्धि नीति को समर्थन करेगा। स्वतंत्र कारोबारी देश के रूप में ब्रिटेन को इस समझौते से समर्थन मिलेगा, जो मुक्त व्यापार नीति का समर्थन करता है। इससे पूरे ब्रिटेन को लाभ मिलेगा।’
उन्होंने कहा, ‘हमारा रुख साफ है कि हम दोनों पक्षों के लिए बेहतर सौदे पर काम कर रहे हैं। इस पर तब तक समझौता नहीं होगा, जब तक हमें समझौते के निष्पक्ष और दोनों देशों के लिए लाभदायक होने का विश्वास नहीं हो जाता है। यह ब्रिटिश लोगों और ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के हित में होना चाहिए।’दोनों देश बिजनेस वीजा और कुशल पेशेवरों की भारत से ब्रिटेन आवाजाही के मसले पर चर्चा कर रहे हैं, जो एफटीए वार्ता में शामिल है।
भारत से ब्रिटेन आने वाले प्रवासियों के वक्त से ज्यादा ठहरने को लेकर गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन की विवादास्पद टिप्पणी पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि आव्रजन वीजा के मसले पर कोई चर्चा नहीं हुई है। हैंड्स ने आगे कहा कि व्हिस्की जैसे एल्कोहलिक पेय पर शुल्क में कमी पर चर्चा की जाएगी। ब्रिटेन से भारत में स्कॉच व्हिस्की लाने पर 150 प्रतिशत कर लगता है और यह मौजूदा व्यापार वार्ता के विवादास्पद मसलों में से एक है।
व्यापार समझौते से वस्तुओं और सेवाओं की बाजार तक व्यापक पहुंच बनने की संभावना है, क्योंकि दोनों पक्ष शुल्क और गैर शुल्क बाधाओं को दूर करेंगे। उन्होंने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि शुल्क के मसले पर समझौते में बहुत राहत होगी। हमारे तमाम निर्यातकों को पेशेवरों, वित्तीय व कानूनी सेवाओं पर भारी भरकम कर चुकाना होता है।
मैं यह वादा नहीं करता कि समझौते में हमें सब कुछ मिल जाएगा। बौद्धिक संपदा में कंपनियों को नवोन्मेष के साथ काम करना आसान होगा। बड़ी संख्या में ऐसे क्षेत्र हैं, जहां भारत को लाभ हो सकता है, जिसमें निवेश एवं जीवन विज्ञान शामिल है।’ब्रेक्सिट के बाद ब्रिटेन विश्व से व्यापारिक संबंध बनाने की कवायद में जुटा है।
