ब्रिटेन से प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के विवादस्पद मुद्दों पर अंतिम रुख प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को तय करना है। भारत में चुनाव करीब आने के कारण इस मामले पर अब पीएमओ को कदम उठाना है।
भारत और ब्रिटेन के बीच 14वें दौर की बातचीत 10 जनवरी को शुरू हुई और यह नई दिल्ली में बीते सप्ताह के अंत तक हुई थी। इस मामले के जानकार लोगों के मुताबिक वाणिज्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस व्यापार समझौते पर बुधवार को पीएमओ में अपनी प्रस्तुति दी थी।
इस मामले के जानकार व्यक्ति ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘बातचीत महत्त्वूपर्ण चरण में पहुंच गई है और यह 19 जनवरी तक होनी थी। हालांकि अभी भी दोनों देशों को कुछ सामान्य मुद्दों पर आम सहमति बनानी है। इसमें सामान की बाजार तक पहुंच शामिल है। इस वक्त साझेदारों के बीच बातचीत जारी है।’
वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि भारत-ब्रिटेन के बीच परस्पर बातचीत उस चरण तक पहुंच चुकी है, जहां प्रस्तावित व्यापार समझौते के लिए ‘राजनीतिक आह्वान’ की आवश्यकता है। इसके अलावा अभी बातचीत जारी है, भले ही आधिकारिक न हो।
चुनाव करीब होने के कारण इस फरवरी के अंत तक भारत में ‘आचार संहिता’ लागू हो सकती है। इसका अर्थ यह है कि इससे पहले बातचीत को समाप्त करना है और अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचना है। वाणिज्य मंत्रालय ने बीते सप्ताह कहा था, ‘बातचीत उच्चतर स्तर पर जारी है और दल के स्तर पर मतभेदों को खत्म किया जा रहा है।’
भारत और ब्रिटेन के बीच बहुप्रतीक्षित व्यापार सौदे के लिए दो वर्ष पहले 13 जनवरी, 2021 को बातचीत शुरू हुई थी। अभी तक 14 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन दोनों पक्ष कुछ विवादित मुद्दों के मध्य तक भी पहुंच नहीं पाए हैं।
कुछ विवादित मुद्दों में ब्रिटेन के व्हिस्की और बिजली चालित वाहनों सहित वाहन उद्योग पर कम शुल्क की मांग है। इसके अलावा ब्रिटेन भारत के दूरसंचार, कानूनी और वित्तीय क्षेत्रों में अधिक अवसरों की मांग कर रहा है।
इस क्रम में भारत ब्रिटेन के 2027 से प्रस्तावित आयातित वस्तुओं पर कार्बन बॉर्डर शुल्क के समाधान और सामाजिक सुरक्षा समझौते पर दृढ़ता के साथ मोलभाव कर रहा है। इसके अलावा कुछ चुनौतीपूर्ण क्षेत्र बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) के नियमों और उद्गम से संबंधित चैप्टर हैं।
दोनों पक्षों का लक्ष्य पहले बीते साल अक्टूबर में व्यापार समझौते को अंतिम रूप देना था, उस समय नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक उपस्थित थे। उस समय दोनों देशों ने कहा था कि उन्हें प्रस्तावित समझौते में वैचारिक खाई को दूर करने के लिए कुछ और समय की जरूरत है।