प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
India Income Equality Ranking 2025: भारत ने आय समानता के मामले में वैश्विक स्तर पर चौथा स्थान हासिल किया है। वर्ल्ड बैंक की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का गिनी इंडेक्स स्कोर 25.5 है, जो स्लोवाक रिपब्लिक (24.1), स्लोवेनिया (24.3) और बेलारूस (24.4) के बाद आता है। इतने बड़े और विविधता वाले देश के लिए यह उपलब्धि खास है, क्योंकि भारत अब दुनिया के सबसे समान समाजों में शुमार हो गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने लगातार आर्थिक विकास और गरीबी कम करने व वित्तीय पहुंच बढ़ाने वाली नीतियों के दम पर यह संतुलन हासिल किया है।
गिनी इंडेक्स किसी देश में आय, संपत्ति या खपत के बंटवारे को मापता है। 0 का स्कोर पूरी तरह समानता दर्शाता है, जबकि 100 का स्कोर पूरी तरह असमानता को दिखाता है, यानी जहां एक व्यक्ति के पास सारी संपत्ति हो। कम स्कोर का मतलब है कि समाज में समानता ज्यादा है। भारत का 25.5 का गिनी स्कोर इसे ‘मध्यम-निम्न’ असमानता वाले देशों (25-30) की श्रेणी में लाता है और यह ‘निम्न असमानता’ वाली श्रेणी के करीब है।
भारत का गिनी इंडेक्स न सिर्फ चीन (35.7) और अमेरिका (41.8) से बेहतर है, बल्कि यह हर G7 और G20 देश से ज्यादा समान है। ‘मध्यम-निम्न’ असमानता वाली श्रेणी में यूरोपीय देश जैसे आइसलैंड, नॉर्वे, फिनलैंड और बेल्जियम के साथ-साथ UAE और पोलैंड जैसे देश शामिल हैं। दुनिया भर में कुल 30 देश इस श्रेणी में हैं।
भारत का मौजूदा स्कोर 2011 के 28.8 से काफी बेहतर है, जो पिछले एक दशक में संसाधनों के और समान बंटवारे की ओर इशारा करता है।
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भारत की बेहतर समानता का बड़ा कारण गरीबी में भारी कमी है। वर्ल्ड बैंक की स्प्रिंग 2025 पॉवर्टी एंड इक्विटी ब्रीफ के अनुसार, पिछले 10 सालों में 17.1 करोड़ भारतीयों ने अत्यधिक गरीबी से छुटकारा पाया है। 2011-12 में 16.2% लोग 2.15 डॉलर प्रति दिन से कम पर जी रहे थे, जो 2022-23 में घटकर सिर्फ 2.3% रह गया। नई सीमा 3.00 डॉलर प्रति दिन के हिसाब से भारत का गरीबी दर 5.3% अनुमानित है।
इस सफलता के पीछे सरकार की वे योजनाएं हैं, जो समाज के सबसे कमजोर वर्गों तक पहुंचने के लिए बनाई गई हैं।
कई अहम सरकारी योजनाओं ने वित्तीय समावेशन, कल्याणकारी योजनाओं की डिलीवरी और हाशिए पर रहने वाले समुदायों में उद्यमिता को बढ़ावा देने में योगदान दिया है: