प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
अमेरिका के शुल्क की चिंताओं के बीच मांग में सुधार के कारण भारत की विनिर्माण गतिविधियां अगस्त में भी मजबूत स्थिति में बनी रहीं। इस महीने के दौरान मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) लगभग 18 साल के उच्चतम स्तर 59.3 पर पहुंच गया। इसके पहले जुलाई में एसऐंडपी ग्लोबल द्वारा संकलित एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई बढ़कर 16 महीने के उच्च स्तर 59.1 पर पहुंच गया था।
सर्वे में कहा गया है, ‘अगस्त महीने में भारत के विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि को आगे और गति मिली। मांग में निरंतर सुधार के कारण फैक्टरी ऑर्डरों और उत्पादन में मजबूत वृद्धि जारी रही। अगस्त में मौसमी रूप से समायोजित एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई से संकेत मिलता है कि परिचालन की स्थितियों में सबसे तेज सुधार हुआ है और यह साढ़े 17 साल में सबसे तेज है।’
सर्वे में कहा गया है कि मुख्य आंकड़े में ऊपर की ओर वृद्धि, उत्पादन मात्रा में वृद्धि में तेजी को दर्शाती है, क्योंकि विस्तार की दर लगभग 5 वर्षों में सबसे तेज थी।
सर्वे में कहा गया है, ‘वृद्धि के बारे में पैनल के सदस्यों ने कहा कि इससे आपूर्ति और मांग के बेहतर तालमेल के संकेत मिलते हैं। नए ऑर्डर आने में मोटे तौर पर जुलाई के बराबर ही वृद्धि हुई, जो 57 महीनों में सबसे तेज थी। मांग में तेजी के अलावा सर्वे के प्रतिभागियों ने वृद्धि को विज्ञापन की सफलता से भी जोड़ा।’ इंटरमीडिएट वस्तु श्रेणी की बिक्री और आउटपुट का प्रदर्शन शानदार रहा है, उसके बाद पूंजीगत और उपभोक्ता वस्तुओं का स्थान है। सर्वे में 50 से अधिक अंक प्रसार और इससे कम संकुचन का संकेतक होता है। पिछले 50 महीने से यह प्रसार के क्षेत्र में है।
एचएसबीसी में चीफ इंडिया इकॉनमिस्ट प्रांजुल भंडारी ने कहा कि भारत का विनिर्माण पीएमआई अगस्त में एक और नई ऊंचाई को छू गया है, जो उत्पादन में तेज वृद्धि के कारण हुआ है। भारतीय वस्तुओं के आयात पर 50 प्रतिशत अमेरिकी शुल्क से निर्यात ऑर्डर थोड़ा कम हुआ होगा क्योंकि अमेरिकी खरीदारों ने शुल्क की अनिश्चितता के बीच ऑर्डर से बचने की कवायद की है। उन्होंने कहा, ‘कुल मिलाकर ऑर्डर मे वृद्धि से मदद मिली है। इससे घरेलू ऑर्डर में तेजी बने रहने के संकेत मिलते हैं। इससे अर्थव्यवस्था को शुल्क की वजह से लगने वाले झटके से बचाव हुआ है। विनिर्माताओं ने भविष्य में उत्पादन को लेकर सकारात्मक संकेत दिए हैं।’