हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद कहा था कि भारत के साथ एक "बहुत बड़ी डील" जल्द ही होगी। (फाइल फोटो)
अमेरिका ने भारत को इंडो-पैसिफिक (एशिया-प्रशांत) क्षेत्र में अपना “रणनीतिक सहयोगी” बताया है और कहा है कि दोनों देशों के बीच एक बड़ा व्यापार समझौता जल्द ही फाइनल होने वाला है। यह जानकारी व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलीन लिविट ने मंगलवार (भारतीय समयानुसार) एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी।
लिविट ने कहा, “राष्ट्रपति ने पिछले हफ्ते कहा था कि भारत और अमेरिका एक ट्रेड डील के बहुत करीब हैं, और ये बात अब भी सच है। मैंने इस बारे में हमारे वाणिज्य मंत्री से बात की है, जो राष्ट्रपति ट्रंप के साथ ओवल ऑफिस में थे। वे इस डील को फाइनल करने में लगे हैं और आप जल्द ही राष्ट्रपति और उनके व्यापारिक दल से इस पर सुनेंगे।”
कैरोलीन लिविट ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच रिश्ते काफी अच्छे हैं। जब उनसे पूछा गया कि अमेरिका चीन के इंडो-पैसिफिक प्रभाव को कैसे देखता है, तो उन्होंने जवाब दिया, “भारत एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिका का एक बहुत ही रणनीतिक साथी है और राष्ट्रपति मोदी के साथ राष्ट्रपति ट्रंप के संबंध अच्छे हैं। ये संबंध आगे भी मजबूत बने रहेंगे।”
कुछ दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद कहा था कि भारत के साथ एक “बहुत बड़ी डील” जल्द ही होगी। उन्होंने कहा, “हर कोई इस डील का हिस्सा बनना चाहता है। कुछ महीने पहले मीडिया पूछ रही थी कि क्या अमेरिका के पास कोई बड़ा साझेदार है या नहीं। और अब देखिए — हमने कल ही चीन के साथ एक अहम समझौता किया है, और अब शायद भारत के साथ भी बहुत जल्द एक बड़ी डील होगी। हम भारत के बाजार को पूरी तरह खोलने जा रहे हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका चाहता है कि भारत अपने व्यापारिक अवरोधों को पूरी तरह खत्म करे ताकि अमेरिकी कंपनियों को वहां पूरी पहुंच मिल सके।
राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा घोषित नए ‘रेटालीएटरी टैरिफ’ (प्रतिशोधी शुल्क) 9 जुलाई से लागू हो जाएंगे। अमेरिका ने कई देशों के साथ डील की कोशिश की है, लेकिन अब तक केवल ब्रिटेन और चीन ही सफल हो पाए हैं।
भारत सरकार की ओर से भी संकेत मिले हैं कि वह अमेरिका के साथ एक व्यापक व्यापार समझौते को लेकर तैयार है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि भारत इस डील के लिए तैयार है, लेकिन हमारी कुछ मूल बातें हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, खासकर किसानों और पशुपालकों से जुड़ी चिंताएं। अगर इन बातों का सम्मान होगा, तो भारत अमेरिका के साथ एक मजबूत समझौते को फाइनल करने के लिए पूरी तरह तैयार है।