‘प्रतिकूल स्थिति से निपटने में भारत अन्य देशों से बेहतर स्थिति में’

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 7:02 PM IST

आने वाले महीनों में भारत का मुद्रास्फीति का स्तर अधिक प्रभावित होगा तथा यूरोप में युद्ध और आपूर्ति शृंखला एवं जिंसों के दामों पर इसके असर की वजह से भू-राजनीतिक हालात प्रभावित होंगे। हालांकि देश प्रतिकूल स्थिति से निपटने में अधिकांश अन्य देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में है और चालू वित्त वर्ष में करीब आठ प्रतिशत की वृद्धि हासिल कर रहा है। वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को अपनी नवीनतम मासिक आर्थिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।
वित्त मंत्रालय के आर्थिक अनुभाग द्वारा तैयार की गई अप्रैल की इस मासिक आर्थिक रिपोर्ट में कहा गया है कि आयात के जरिये वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल और खाद्य तेल की कीमतों में वृद्धि का अब भारत के मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण पर खासा असर पड़ा है। इन जिंसों की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए सरकारी उपायों के साथ-साथ आरबीआई द्वारा नीतिगत दरों में किए गए हालिया इजाफे से अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीतिकदबाव कम होने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मुद्रास्फीति की प्रतिकूल स्थिति की मौजूदगी के बावजूद सरकार के पूंजीगत व्यय से प्रेरित राजकोषीय मार्ग से, जैसा कि बजट में निर्धारित किया गया है, चालू वर्ष के दौरान वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में लगभग आठ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करने में अर्थव्यवस्था की मदद करेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि लंबे समय से देखा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति उतनी बड़ी चुनौती नहीं रही है जितनी कि मासिक बदलावों से अनुभव होती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि वर्ष 2022-23 में उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति बढऩे की संभावना है, लेकिन केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा की गई कार्रवाई से इसकी अवधि कम हो सकती है।
अप्रैल महीने में सीपीआई मुद्रास्फीति बढ़कर 7.79 प्रतिशत हो गई, जिसकी मुख्य वजह ईंधन और खाद्य कीमतों में वृद्धि तथा लगातार चौथे महीने आरबीआई की ऊपरी सहनशीलता सीमा से अधिक रहना है।

First Published : May 13, 2022 | 12:52 AM IST