अर्थव्यवस्था

‘आर्थिक विकास तभी मायने रखेगा जब वह सभी के लिए हो’, बोलीं वित्त मंत्री: समावेशी विकास हमारी प्राथमिकता

सीतारमण नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में एक किताब ‘ए वर्ल्ड इन फ्लक्स: इंडियाज इकोनॉमिक प्रायोरिटीज’ के लॉन्चिंग के मौके पर बोल रही थीं।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- July 26, 2025 | 8:43 PM IST

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि भारत की सबसे बड़ी आर्थिक प्राथमिकता सिर्फ विकास नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि यह विकास सभी के लिए फायदेमंद, समावेशी और लंबे समय तक चलने वाला हो। उन्होंने वैश्विक और घरेलू आर्थिक बदलावों के बीच भारत को तेजी से अनुकूलन करने की जरूरत पर जोर दिया। सीतारमण नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में एक किताब ‘ए वर्ल्ड इन फ्लक्स: इंडियाज इकोनॉमिक प्रायोरिटीज’ के लॉन्चिंग के मौके पर बोल रही थीं। यह किताब मशहूर अर्थशास्त्री शंकर आचार्य को समर्पित है और इसे प्रोफेसर अमिता बत्रा और पत्रकार एके भट्टाचार्य ने संपादित किया है।

वित्त मंत्री ने कहा कि आज का वैश्विक माहौल तेजी से बदल रहा है। उन्होंने किताब के शीर्षक ‘ए वर्ल्ड इन फ्लक्स’ को मौजूदा दौर का सटीक चित्रण बताया। उन्होंने कहा, “जो संस्थान पहले स्थिर और प्रभावी माने जाते थे, खासकर बहुपक्षीय संस्थान, अब अनिश्चितता के दौर में हैं। यह सिर्फ वित्तीय संस्थानों की बात नहीं, बल्कि रणनीतिक संस्थानों की भी है।”

सीतारमण ने भारत से इस बदलते माहौल में न सिर्फ हिस्सा लेने, बल्कि सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की। उन्होंने एक रूपक का इस्तेमाल करते हुए कहा, “क्या आप एक स्थिर टुकड़ा बनना चाहेंगे या गतिशील? आपको अपने टुकड़े की आकृति को बार-बार बदलना होगा ताकि आप बदलते पहेली में फिट रह सकें।” उनका कहना था कि भारत को वैश्विक ढांचे को आकार देने में अहम भूमिका निभानी चाहिए।

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घरेलू विकास के लिए संतुलन जरूरी

वित्त मंत्री ने घरेलू स्तर पर आर्थिक रणनीतियों को वित्तीय अनुशासन और समावेशी विकास के साथ जोड़ने की बात कही। उन्होंने कहा, “हमारी आकांक्षा सिर्फ वैश्विक मंच पर जगह बनाने की नहीं होनी चाहिए, बल्कि हमें हर स्तर पर अर्थव्यवस्था को सहारा देना होगा।” उनका जोर इस बात पर था कि नीतियां ऐसी हों जो लंबे समय तक चलें, न कि सिर्फ तात्कालिक लाभ दें।

सीतारमण ने आगे कहा, “हमें हर वर्ग की आकांक्षाओं का ध्यान रखना है। यह सिर्फ पैसे बांटने से नहीं होगा, बल्कि ऐसी व्यवस्थाएं बनाने से होगा जो लोगों को आगे बढ़ने में मदद करें।”

उन्होंने भारत की युवा आबादी का फायदा उठाने के लिए रोजगार सृजन पर जोर दिया। साथ ही, संसाधनों का प्रबंधन इस तरह करने की बात कही कि आर्थिक स्थिरता बनी रहे। सीतारमण ने कहा कि घरेलू आकांक्षाओं को संसाधनों की उपलब्धता के साथ संतुलित करना एक बड़ी चुनौती है।

सार्वजनिक निवेश को विकास का इंजन बताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार इस दिशा में लगातार काम कर रही है। वित्त मंत्री ने कहा, “प्रधानमंत्री का साफ निर्देश है कि पूंजीगत खर्च को बढ़ाना है, और इसे काफी हद तक बढ़ाया जा रहा है।” उन्होंने इसे भारत की आर्थिक वृद्धि का मुख्य आधार बताया, हालांकि उन्होंने माना कि कुल निवेश के स्तर में और सुधार की गुंजाइश है।

वित्त मंत्री ने निजी क्षेत्र की मजबूती पर भी बात की। 2019 में कॉरपोरेट टैक्स में कटौती और ट्विन बैलेंस शीट समस्या के समाधान के बाद निजी क्षेत्र में सुधार हुआ है। सीतारमण ने कहा, “कोविड के बाद से, और 2019 से भी, कॉरपोरेट सेक्टर पहले से ज्यादा मजबूत हुआ है।”

रोजगार सृजन को एक चुनौती मानते हुए सीतारमण ने कहा, “हम इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।” उन्होंने भारत को एक ऐसे देश के रूप में पेश किया जो न सिर्फ वैश्विक बदलावों के साथ कदम मिला रहा है, बल्कि जिम्मेदारी के साथ नेतृत्व करने की दिशा में भी काम कर रहा है।

First Published : July 26, 2025 | 8:43 PM IST