वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और भारत यात्रा पर आए ब्रिटेन के व्यापार मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स दो दिवसीय चर्चा की शुरुआत की।
भारत और ब्रिटेन ने व्यापार समझौतों पर करीब एक साल के बाद आज दोबारा बातचीत शुरू की। दोनों पक्षों ने तीन मुद्दों पर औपचारिक वार्ता शुरू की है। इनमें मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए), द्विपक्षीय निवेश संधि और सामाजिक सुरक्षा समझौता शामिल हैं।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और भारत यात्रा पर आए ब्रिटेन के व्यापार मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स दो दिवसीय चर्चा की शुरुआत की। मगर उन्होंने वार्ता समाप्त होने के लिए किसी समयसीमा का खुलासा नहीं किया। गोयल ने जोर देकर कहा कि व्यापार समझौते पर ‘जल्दबाजी’ में नहीं बल्कि ‘तेजी’ से हस्ताक्षर किए जाएंगे। रेनॉल्ड्स ने कहा कि यह समझौता ब्रिटेन के लिए प्रमुख प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के समझौते लंबी अवधि के भविष्य के लिए होते हैं। भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार वार्ता की शुरुआत 34 महीने पहले ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के कार्यकाल में हुई थी। उसका लक्ष्य 9 महीनों के भीतर समझौते को अंतिम रूप देना था। मगर ब्रिटेन में राजनीतिक अस्थिरता, तमाम मुद्दों पर मतभेद और दोनों देशों में आम चुनाव के कारण वार्ता में देरी हुई। इस व्यापार समझौते से अगले 10 वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार मौजूदा 20 अरब डॉलर से दोगुना अथवा तिगुना होने की उम्मीद है।
संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने वार्ताकारों को साथ मिलकर काम करने और इस समझौते के अनसुलझे मुद्दों पर सहमति बनाने के लिए कहा है। इससे दोनों पक्षों के लिए निष्पक्ष एवं उचित व्यापार समझौता सुनिश्चित हो सकेगा।
यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप बराबरी का शुल्क लगाने की चेतावनी दे रहे हैं। ऐसे में ब्रिटेन जैसी उन्नत अर्थव्यवस्था भारत के साथ अपने व्यापार वार्ता में तेजी लाने के लिए मजबूर हैं। गोयल ने कहा कि भारत कई विकसित देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते कर रहा है। भारत का मानना है कि ऐसे सौदे उसके लिए पूरक साबित होंगे।
एफटीए के अलावा दोनों देश सामाजिक सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए भी उत्सुक हैं। द्विपक्षीय निवेश संधि पर बातचीत करना दोनों पक्षों के लिए विवादास्पद मुद्दा रहा है, लेकिन ब्रिटेन के लिए वह काफी मायने रखता है। ऐसे में वित्त मंत्रालय निश्चित तौर पर द्विपक्षीय निवेश संधि पर बातचीत कर रहा है। जहां तक भारत का सवाल है तो अधिकारियों ने बताया कि सामाजिक सुरक्षा समझौता दोनों पक्षों के बीच विवाद का विषय है।
गोयल ने कहा कि सभी विकल्प खुले हैं और दोनों पक्ष तीन अलग-अलग मुद्दों- एफटीए, बीआईटी और एसएसए- पर काफी सक्रियता से बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘ये तीनों समानांतर और एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।’
सामाजिक सुरक्षा समझौता सीमा पार कुशल श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित द्विपक्षीय समझौते हैं। इनका समझौतों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि श्रमिकों के लिए पेंशन एवं बीमा जैसे सामाजिक सुरक्षा योगदान दोनों देशों में न किए जाएं।
ब्रिटेन भारत के दूरसंचार, कानून एवं वित्तीय सेवा बाजार में अधिक अवसरों की मांग कर रहा है, जबकि भारत की नजर अपने कुशल श्रमिकों के लिए उदार आव्रजन नीति पर रही है। अन्य विवादास्पद मुद्दों में व्हिस्की और वाहन पर कम शुल्क लगाने संबंधी ब्रिटेन की मांग शामिल है। इसके अलावा उत्पादन के मूल स्थान और बौद्धिक संपदा अधिकारों संबंधी मुद्दों पर भी सहमति नहीं बन पाई है।