सरकार ने आज देश से होने वाला निर्यात जल्द ही बढ़ने का दावा किया क्योंकि सितंबर में वस्तु निर्यात में गिरावट पहले से धीमी हो गई। इस दौरान निर्यात में केवल 2.6 फीसदी कमी आई। वाणिज्य विभाग ने अगस्त के निर्यात आंकड़ों में संशोधन किया जिससे उसमें 3.9 फीसदी इजाफा दर्ज किया गया। पहले सरकार ने अगस्त में निर्यात 6.9 फीसदी घटने का अनुमान जताया था।
वाणिज्य विभाग से जारी आंकड़ों से पता चलता है कि सितंबर में निर्यात के मुकाबले आयात बहुत तेजी से गिरा। उस महीने में आयात 15 फीसदी से ज्यादा लुढ़क गया, जिससे व्यापार घाटा भी कम होकर 19.4 अरब डॉलर रह गया।
वाणिज्य सचिव सुनील बड़थ्वाल ने संवाददाताओं से कहा कि सरकार को सितंबर के आंकड़ों से निर्यात पटरी पर लौटने की उम्मीद मिली है। उन्होंने कहा, ‘सरकार के लिए कई सकारात्मक संकेत हैं। शेष छह महीनों के दौरान हमारे निर्यात में सकारात्मक वृद्धि होनी चाहिए। अक्टूबर में हफ्तावार रुझान भी वृद्धि वाला ही है।’
भारतीय निर्यातकों के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष ए शक्तिवेल ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व और ब्रिटेन का केंद्रीय बैंक ब्याज दर बढ़ोतरी बंद कर रहे हैं। इसलिए अक्टूबर के बाद निर्यात बढ़ने के आसार हैं। उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र में
आर्थिक अनुमान बढ़िया हैं, इसलिए वहां के देशों से भी मांग बढ़ सकती है।’
भारत के निर्यात पर इजरायल-हमास टकराव का असर पूछने पर बड़थ्वाल ने कहा कि सरकार फिलहाल स्थिति पर नजर रख रही है क्योंकि तस्वीर रोज बदल रही है। उन्होंने कहा, ‘हमें फिक्र है कि संघर्ष बढ़ नहीं जाए क्योंकि उसका व्यापार पर असर पड़ेगा।’
सरकारी अधिकारियों ने बताया कि इजरायल-हमास संघर्ष बढ़ने पर सबसे पहले माल भेजने का खर्च और बीमा प्रीमियम बढ़ जाएंगे। उन्होंने कहा कि आंकड़े आने के बाद ही असर का पता लगाया जा सकता है। वस्तु निर्यात फरवरी से ही घट रहा है मगर आंकड़े बदलने के बाद अगस्त में यह बढ़ गया। वाणिज्य विभाग ने अगस्त का आयात आंकड़ा भी 5.86 करोड़ डॉलर से बढ़ाकर 6.01 करोड़ डॉलर कर दिया। इससे अगस्त में आयात में कमी भी पहले सोचे गए 5.2 फीसदी से घटकर 2.9 फीसदी ही रह गई।
आंकड़ों में संशोधन मुख्य रूप से राजस्व एवं वाणिज्य विभाग के आंकड़ों में मिलान के बाद किया जाता है। इसीलिए अंतिम आंकड़े आने में अक्सर देर हो जाती है। आंकड़ों में मामूली संशोधन आम बात है। सरकारी अधिकारियों ने कहा कि बड़े बदलावों की मुख्य वजह पेट्रोलियम एवं इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के निर्यात में वृद्धि और रसायन जैसी वस्तुओं के निर्यात में गिरावट हो सकती है।
सरकारी अधिकारियों ने कहा कि सितंबर में आयात में भारी कमी के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें पेट्रोलियम कीमतों में गिरावट, मांग में नरमी और आयात के विकल्प के तौर पर उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को बढ़ावा दिया जाना शामिल हैं।
अच्छी बात यह है कि मुख्य निर्यात कहे जाने वाले गैर-पेट्रोलियम और गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यात में गिरावट खत्म हो गई। सितंबर में इनका निर्यात 1.8 फीसदी बढ़कर 24.78 अरब डॉलर हो गया।
सितंबर में 30 में से 18 क्षेत्रों में निर्यात घटा। महीने के दौरान गिरावट वाली प्रमुख निर्यात वस्तुओं में पेट्रोलियम उत्पाद (-10.6 फीसदी), रत्न एवं आभूषण (-16 फीसदी), रेडीमेड परिधान (-11.2 फीसदी) और कार्बनिक एवं अकार्बनिक रसायन (-15.2 फीसदी) शामिल हैं। कई महीनों से वृद्धि के बाद सितंबर में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में 3.7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। सकारात्मक वृद्धि दर्ज करने वाले प्रमुख निर्यात क्षेत्रों में इंजीनियरिंग वस्तुएं (6.8 फीसदी) और फार्मास्युटिकल्स (9 फीसदी) शामिल हैं।
जहां तक वस्तु आयात की बात है तो कोयला (-33.4 फीसदी), कच्चे तेल (-20.3 फीसदी) और कीमती पत्थर (-22.5 फीसदी) सहित 30 वस्तुओं में से 20 में आयात कम हुआ। आगामी त्योहारी सीजन के मद्देनजर सोने का आयात 6.9 फीसदी बढ़कर 4.11 अरब डॉलर हो गया। सितंबर में सेवाओं का निर्यात 0.5 फीसदी बढ़कर 29.37 अरब डॉलर हो गया जबकि आयात 8.3 फीसदी बढ़कर 14.91 अरब डॉलर पर पहुंच गया।