अर्थव्यवस्था

टीवी-AC होंगे सस्ते! रोजमर्रा की चीजों पर भी बड़ी राहत, खपत में उछाल का अंदेशा: राइट रिसर्च

ग्रामीण आय में बढ़ोतरी और महंगाई में कमी के साथ जीएसटी सुधार त्योहारी सीजन से पहले भारत की खपत को नई रफ्तार दे सकते हैं।

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देवव्रत बाजपेयी   
Last Updated- September 02, 2025 | 4:09 PM IST

Smallcase पर इन्वेस्टमेंट मैनेजर Wright Research का कहना है कि भारत में अब खपत (consumption) धीरे-धीरे बढ़ने लगी है। कंपनी का मानना है कि जीएसटी 2.0, ग्रामीण इलाकों में बढ़ती आमदनी और महंगाई में कमी मिलकर खर्च बढ़ाने का माहौल बना रहे हैं। अगर सरकार अक्टूबर 2025 तक जीएसटी सुधार लागू कर देती है, तो त्योहारों से पहले ही खपत को बड़ी ताकत मिल सकती है।

क्यों अहम है जीएसटी 2.0

राइट रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, जीएसटी 2.0 आम लोगों की जिंदगी पर सीधा असर डालेगा। प्रोसेस्ड फूड, ₹1,000 तक के जूते-चप्पल और कुछ वेलनेस प्रोडक्ट्स पर टैक्स 12% से घटाकर 5% करने का प्रस्ताव है। इससे घर का खर्च कम होगा और लोग बिना ब्रांड वाले सामान की बजाय ब्रांडेड प्रोडक्ट्स खरीदने लगेंगे।

एसी और बड़े टीवी जैसे सामान पर टैक्स 28% से घटाकर 18% किया जा सकता है। इससे इनकी कीमत करीब 8% कम होगी और छोटे शहरों में भी लोग ज्यादा खरीद पाएंगे। वहीं, सीमेंट पर टैक्स घटने से घर बनाने और बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स की लागत कम होगी। लेकिन सिगरेट और कोल्ड ड्रिंक जैसे लग्जरी सामान पर ज्यादा टैक्स ही लगेगा, ताकि सरकार की कमाई पर असर न पड़े।

Wright Research की फाउंडर सोनम श्रीवास्तव कहती हैं, “जीएसटी 2.0 पिछले कुछ सालों में सबसे बड़ा pro-consumption कदम है। यह रोजमर्रा की चीजों और बड़े सामानों दोनों की कीमत घटाएगा, जिससे मांग तेजी से बढ़ेगी। यह ऐसे समय पर हो रहा है जब ग्रामीण आय और महंगाई का ट्रेंड भी उपभोक्ताओं के पक्ष में है।”

किन सेक्टर्स को होगा सबसे ज्यादा फायदा

जीएसटी सुधारों से सबसे ज्यादा लाभ FMCG सेक्टर को मिलेगा, जहां FY26 में लगभग 10% की राजस्व वृद्धि का अनुमान है। लागत घटने और ब्रांड निवेश बढ़ने से कंपनियों की मार्जिन स्थिति भी बेहतर होगी। कंज्यूमर ड्यूरेबल्स में 21% से ज्यादा की बढ़ोतरी संभव है, लेकिन इसकी रफ्तार सीधे तौर पर जीएसटी लागू होने की गति पर निर्भर करेगी।

सीमेंट सेक्टर सबसे मजबूत स्थिति में नजर आता है, जहां EBITDA में 40% और मुनाफे में 80% तक उछाल की उम्मीद है। इंटरनेट प्लेटफॉर्म्स को छोटे कारोबारियों (MSMEs) की बढ़ती डिजिटल अपनाने से 35–40% तक की कमाई बढ़ने की उम्मीद है। वहीं, ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को कच्चे तेल की कीमत घटने और रिफाइनरी में सुधार से ज्यादा मुनाफा हो सकता है।

खपत को गति देने वाले और फैक्टर

राइट रिसर्च का कहना है कि जीएसटी सुधार तो एक बड़ा कदम है, लेकिन खपत को तेजी देने वाले और भी कारक हैं। ग्रामीण भारत में अच्छी खरीफ पैदावार, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी और महिलाओं के लिए चलाए जा रहे कैश ट्रांसफर कार्यक्रमों ने खर्च करने की क्षमता बढ़ाई है।

महंगाई में नरमी भी खपत को सहारा दे रही है। 2021 के बाद पहली बार ग्रामीण मजदूरी महंगाई से ऊपर निकली है, जिससे वास्तविक आय (real income) बढ़ रही है। शहरी और ग्रामीण दोनों परिवारों की जेब में अतिरिक्त पैसा बच रहा है, जो रोजमर्रा से लेकर डिस्क्रिशनरी खर्चों तक में दिखाई देगा।

ऑटो, टेक्नोलॉजी और फाइनेंशियल सेक्टर का नजरिया

ऑटोमोबाइल सेक्टर में भी FY26 के लिए मजबूत संकेत मिल रहे हैं। यात्री वाहनों की बिक्री FY25 में 5% बढ़ी थी, जबकि ग्रामीण मांग के चलते दोपहिया वाहनों की बिक्री और तेजी से बढ़ी। राइट रिसर्च का अनुमान है कि FY26 में दोपहिया वाहनों की बिक्री 8–9% बढ़ेगी। लंबी अवधि में इलेक्ट्रिक वाहनों और निर्यात से यह सेक्टर 8.8% CAGR से बढ़ सकता है।

टेक्नोलॉजी सेक्टर में आईटी कंपनियों की आय फिलहाल दबाव में है, लेकिन डिविडेंड यील्ड और कम वैल्यूएशन इसे सपोर्ट दे रहे हैं। अगर दूसरी छमाही में Gen-AI की कमाई या वैश्विक ब्याज दरों में कमी आती है, तो यह सेक्टर दोबारा रेटिंग हासिल कर सकता है। वहीं, फाइनेंशियल सेक्टर में FY26 में 7.5% राजस्व वृद्धि का अनुमान है, जिसमें प्राइवेट बैंकों की स्थिति सरकारी बैंकों की तुलना में ज्यादा मजबूत रहेगी।

First Published : September 2, 2025 | 4:09 PM IST