अर्थव्यवस्था

GST 2.0 झटका या जैकपॉट? SBI रिपोर्ट ने बताईं कई जरूरी बातें

रोजमर्रा की चीजें सस्ती होंगी, महंगाई घटेगी और आम आदमी की जेब पर होगा सीधा फायदा

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देवव्रत बाजपेयी   
Last Updated- September 05, 2025 | 10:48 AM IST

GST काउंसिल की 56वीं बैठक में टैक्स ढांचे को पूरी तरह से आसान बना दिया गया है। अब पहले की तरह 4 स्लैब नहीं होंगे, बल्कि सिर्फ 2 मुख्य दरें होंगी – 18% (स्टैंडर्ड रेट) और 5% (मेरिट रेट)। कुछ खास प्रोडक्ट्स और सेवाओं पर 40% डिमेरिट रेट भी रखा गया है। इस बदलाव से मिडिल क्लास को सीधा फायदा होगा, क्योंकि रोजमर्रा के सामान पर टैक्स घटने से उनकी जेब पर बोझ कम होगा।

महंगाई पर ब्रेक

रिपोर्ट बताती है कि कुल 453 सामान और सेवाओं पर GST की दरें बदली गई हैं। इनमें से 413 पर टैक्स घटाया गया है और सिर्फ 40 पर बढ़ाया गया है। खास बात यह है कि करीब 295 जरूरी चीजें, जिन पर पहले 12% टैक्स लगता था, अब सिर्फ 5% या बिल्कुल शून्य टैक्स लगेगा। इसका मतलब है कि रोजमर्रा की जरूरी चीजें अब सस्ती होंगी और आम लोगों के लिए इन्हें खरीदना आसान होगा। इस बदलाव से घरों की खपत बढ़ेगी, ज्यादा लोग औपचारिक अर्थव्यवस्था से जुड़ेंगे और छोटी-छोटी असंगठित कंपनियों की जगह बड़ी संगठित कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़ेगी।

रिपोर्ट के मुताबिक, टैक्स दरें घटने से महंगाई पर भी असर पड़ेगा। अब जब करीब 295 जरूरी सामान 12% से घटकर 5% या शून्य टैक्स स्लैब में आ गए हैं, तो खाने-पीने जैसी चीजों की कीमतों में लगभग 25–30 अंक (basis points) तक कमी आ सकती है।

इसी तरह, सेवाओं की दरें घटने से दूसरी चीजों और सेवाओं की महंगाई भी 40–45 अंक तक कम हो सकती है। यानी कुल मिलाकर आने वाले सालों (2026–27) में महंगाई लगभग 65–75 अंक घट सकती है। इसका मतलब है कि लोगों को रोजमर्रा के खर्च में राहत मिलेगी और महंगाई धीरे-धीरे नीचे आएगी।

SBI Research का कहना है कि GST का औसत टैक्स रेट समय के साथ लगातार कम होता गया है। जब GST शुरू हुआ था तब यह करीब 14.4% था, जो सितंबर 2019 तक घटकर 11.6% रह गया। अब जो नए बदलाव किए गए हैं, उनसे यह और घटकर लगभग 9.5% तक आ सकता है। यानी टैक्स का बोझ कम होगा, टैक्स सिस्टम और ज्यादा आसान हो जाएगा और पूरा ढांचा पहले से ज्यादा समझदारी और असरदार बनेगा।

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सरकार का राजस्व घाटा नहीं बढ़ेगा

सरकार का मानना है कि टैक्स दरों में बदलाव से सालाना करीब ₹48,000 करोड़ का असर राजस्व पर पड़ेगा। मतलब सरकार की कमाई थोड़ी घट सकती है। लेकिन SBI Research कहती है कि असल में नुकसान इतना बड़ा नहीं होगा, क्योंकि टैक्स दरें कम होने से लोग ज्यादा खरीददारी करेंगे और टैक्स देने वालों की संख्या भी बढ़ेगी। उनके मुताबिक असली नुकसान सिर्फ करीब ₹3,700 करोड़ का होगा, जो सरकार के घाटे (फिस्कल डिफिसिट) पर बहुत ही मामूली असर डालता है।

बैंकिंग और बिजनेस सेक्टर को फायदा

GST में बदलाव से बैंकों और कंपनियों के खर्चे भी घटेंगे। जैसे, अब बीमा प्रीमियम पर कोई GST नहीं लगेगा। इसका मतलब है कि स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसी सस्ती होंगी। लोग ज्यादा बीमा खरीदेंगे और जिनके पास पहले से बीमा है, वे उसका कवरेज बढ़ा पाएंगे। होटल, ऑफिस उपकरण और मेडिकल सामान भी सस्ते होंगे, जिससे बैंकों और कंपनियों की लागत घटेगी और मुनाफा बढ़ेगा।

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हेल्थ और इंश्योरेंस सेक्टर में क्रांति

सबसे बड़ा फायदा हेल्थ और इंश्योरेंस सेक्टर को होगा। पहले पॉलिसी प्रीमियम पर 4% से 18% तक GST लगता था, लेकिन अब इसे खत्म कर दिया गया है। इससे आम आदमी को बीमा लेना आसान और सस्ता होगा। अनुमान है कि इससे बीमा सेक्टर में नए खरीदार जुड़ेंगे और भारत में इंश्योरेंस का दायरा काफी बढ़ेगा।

सप्लाई-चेन, MSME और बैकवर्ड लिंक-अप का फायदा

GST दरों में कटौती का फायदा सिर्फ ग्राहकों तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह उद्योग जगत तक भी पहुंचेगा। रिपोर्ट कहती है कि अब कम्प्रेशर, डिस्प्ले और सेमीकंडक्टर जैसे पार्ट्स की मांग बढ़ेगी। इससे उनकी सप्लाई करने वाली कंपनियों को मजबूती मिलेगी।

इसके अलावा प्लास्टिक, वायरिंग और असेंबली जैसी छोटी और मझोली (MSME) इकाइयों को भी ज्यादा काम और नए अवसर मिलेंगे। इस सुधार से उत्पादन-आधारित गतिविधियों को रफ्तार मिलेगी और पूरा औद्योगिक ढांचा, खासकर निचले स्तर की इकाइयां, मजबूत होंगी।

आम आदमी के लिए बड़ी राहत

SBI Research का कहना है कि GST 2.0 सिर्फ टैक्स कम करने का कदम नहीं है, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक लंबे समय तक असर डालने वाला सुधार है। इससे बिज़नेस आसान होगा, महंगाई घटेगी, बीमा और मेडिकल खर्च कम होंगे और सबसे ज़रूरी बात – आम नागरिक की ज़िंदगी बेहतर होगी।

First Published : September 5, 2025 | 10:01 AM IST