केंद्र सरकार GST 2.0 दिवाली से पहले लागू करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। (फाइल फोटो)
GST काउंसिल की फिटमेंट कमेटी मंगलवार (2 सितंबर) को मीटिंग कर रही है, जिसमें मौजूदा 4 स्लैब टैक्स स्ट्रक्चर को घटाकर 2 स्लैब करने पर चर्चा होगी। केंद्र सरकार की सिफारिश के मुताबिक 12% टैक्स स्लैब को खत्म किया जाएगा। इस स्लैब के तहत आने वाले ज्यादातर सामान 5% और कुछ सामान 18% टैक्स स्लैब में शिफ्ट किए जाएंगे। इसी तरह, 28% टैक्स स्लैब को भी हटाया जाएगा। इस कैटेगरी के सामान को 18% में लाया जाएगा, जबकि लग्जरी और ‘सिन गुड्स’ पर टैक्स बढ़ाकर 40% तक किया जाएगा।
अभी तक 1,000 रुपये तक के कपड़े और जूते पर 5% और उससे ज्यादा कीमत वाले पर 12% GST लगता है। प्रस्ताव के मुताबिक अब 2,500 रुपये तक के कपड़े और फुटवियर पर 5% और 2,500 रुपये से ज्यादा कीमत वालों पर 18% टैक्स लगाया जाएगा।
ICAI के पूर्व अध्यक्ष वेद जैन ने इस प्रस्ताव पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा, “अगर एक ही प्रोडक्ट पर कीमत के हिसाब से अलग-अलग GST रेट लगाया जाएगा, तो पारदर्शिता और सरलता की जगह उलझन और विवाद बढ़ेंगे। इससे टैक्स चोरी को भी बढ़ावा मिलेगा। GST 2.0 का मकसद ‘वन नेशन, वन टैक्स’ होना चाहिए।”
वेद जैन ने उदाहरण देते हुए समझाया कि अगर कोई व्यापारी 2,400 रुपये में एक गारमेंट खरीदता है, तो उस पर 5% यानी 120 रुपये GST लगेगा। लेकिन जब वही व्यापारी इसे 200 रुपये मुनाफा जोड़कर 2,600 रुपये में बेचेगा, तो उसे 18% यानी 468 रुपये GST लेना पड़ेगा। इस तरह व्यापारी के 200 रुपये के प्रॉफिट पर 348 रुपये अतिरिक्त GST देना होगा।
वेद जैन ने कहा, “ये व्यवस्था न तो व्यापारी के लिए आसान होगी और न ही सिस्टम के लिए। यह GST 2.0 के ‘सरल टैक्स सिस्टम’ के लक्ष्य के खिलाफ है।”