अर्थव्यवस्था

30 लाख टन गेहूं बेचेगी सरकार

Published by
संजीब मुखर्जी
Last Updated- January 25, 2023 | 11:27 PM IST

हाल के सप्ताह में गेहूं के दाम में आई रिकॉर्ड तेजी के बाद केंद्र सरकार ने अपने भंडार से 30 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बेचने का फैसला किया है। यह बिक्री ओपन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) के तहत होगी।

एक आधिकारिक बयान के मुताबिक विशेष ओएमएसएस योजना के तहत खरीदार (फ्लोर मिल मालिकों) की बिक्री इस मकसद से की जाएगी कि वे इसका आटा तैयार करें और वह इसकी बिक्री 29.50 पैसे प्रति किलो अधिकतम खुदरा मूल्य (एमएसपी) पर करें। बयान में कहा गया है कि योजना के तहत फ्लोर मिलर्स, थोक खरीदारों को ई नीलामी के माध्यम से गेहूं बेचा जाएगा। एक खरीदार को एक नीलामी में एफसीआई से अधिकतम 3,000 टन गेहूं मिलेंगे। इसके अलावा राज्य सरकारों व केंद्र शासित प्रदेशों को भी बगैर ई-नीलामी के गेहूं दिया जाएगा।

उपरोक्त माध्यमों के अलावा सरकारी पीएसयू, कोऑपरेटिव या फेडरेशनों, केंद्रीय भंडार, एनसीसीएफ, एनएएफईडी आदि को भी बगैर ई-नीलामी के 2,350 रुपये प्रति क्विंटल के भाव गेहूं दिया जाएगा। गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मंत्रि समूह की बैठक के बाद निजी ट्रेडर्स के लिए गोदाम खोलने का फैसला किया गया है।

इस समय उत्तर भारत के बाजारों में गेहूं की कीमत 31-32 रुपये किलो तक पहुंच गई है। यह कीमत 2023-24 के 21.25 रुपये प्रति किलो न्यूनतम समर्थन मूल्य से 50 प्रतिशत ज्यादा है। ट्रेडर्स ने कहा, ‘बिक्री शुरू होते ही बाजार भाव में कम से कम 2 रुपये किलो कमी आ सकती है।’ उन्होंने कहा कि ज्यादातर गेहूं पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश में पड़ा है, जहां से गेहूं फ्लोर मिलर्स और आटा बनाने वालों को बेचा जाएगा। उन्होंने कहा कि अगले सप्ताह बिक्री खुलने की संभावना है।

आंकड़ों से पता चलता है कि 1 जनवरी, 2023 को केंद्रीय पूल में भारत का गेहूं का अनुमानित स्टॉक करीब 171.7 लाख टन था, जो जरूरी रणनीतिक भंडार से 24.4 प्रतिशत ज्यादा है। खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने 19 जनवरी को कहा था कि गेहूं और आटे की खुदरा कीमतें बढ़ गई हैं और सरकार जल्द ही बढ़ती दरों को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाएगी। ओएमएसएस नीति के तहत सरकार समय-समय पर थोक उपभोक्ताओं और निजी व्यापारियों को खुले बाजार में पूर्व-निर्धारित कीमतों पर खाद्यान्न, विशेष रूप से गेहूं और चावल बेचने के लिए सरकारी उपक्रम भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को अनुमति देती है। इसका उद्देश्य जब खास अनाज का मौसम न हो, उस दौरान इसकी आपूर्ति बढ़ाना और सामान्य खुले बाजार की कीमतों पर लगाम लगाना है। यहां तक कि आटा मिलों ने सरकार से एफसीआई से गेहूं के स्टॉक से अनाज बाजार में लाने की मांग की है।

चोपड़ा ने पिछले हफ्ते संवाददाताओं से कहा था, ‘हम देख रहे हैं कि गेहूं और आटे की कीमतों में तेजी है। हम इस मुद्दे से अवगत हैं। सरकार द्वारा विभिन्न विकल्पों की तलाश की जा रही है और बहुत जल्द हम अपनी प्रतिक्रिया देंगे।’ सचिव ने कहा था कि एफसीआई के गोदामों में गेहूं और चावल का पर्याप्त स्टॉक है। घरेलू उत्पादन में मामूली गिरावट और केंद्रीय पूल के लिए एफसीआई की खरीद में तेज गिरावट के बाद कीमतों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र ने मई में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

First Published : January 25, 2023 | 11:27 PM IST