सरकार निर्यात उत्पाद पर शुल्क और कर की छूट (आरओडीटीईपी) योजना के तहत निर्यातकों के रिफंड के दावों को मंजूर करने के लिए ‘सत्यापन तंत्र’ विकसित कर रही है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि अन्य देश इस शुल्क वापसी योजना को सब्सिडी बताकर जवाबी कार्रवाई न करें।
भारत से निर्यात बढ़ाने के लिए यह योजना 3 साल पहले पेश की गई थी। इसके तहत निर्यातकों द्वारा भुगतान किए जाने वाले केंद्र, राज्यों और स्थानीय करों को वापस किया जाता है।
बहरहाल पिछले साल अमेरिका सहित कई देशों ने आरओडीटीईपी योजना के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करते हुए भारत के कुछ उत्पादों पर एंटी सब्सिडी शुल्क लगा दिया। भारत सब्सिडी देने के आरोपों का मजबूती से बचाव करता रहा है और कोशिश कर रहा है कि अमेरिका को समझाया जा सके कि योजना के तहत शुल्क वापसी वैश्विक व्यापार के नियमों का उल्लंघन नहीं करता। भारत का कहना है कि सरकार सिर्फ रिफंड न किए करों व शुल्कों को ही रिफंड करती है।
ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका ने अब भारत से जानना चाहा है कि क्याउसके पास आरओडीटीईपी योजना के तहत निर्यातकों के कर दावे के सत्यापन के लिए कोई ‘आधिकारिक तंत्र’ है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि सरकार अब कोशिश कर रही है कि एक सत्यापन व्यवस्था लाई जाए, जो दरों को मंजूर कर सके। अब तक सरकार आरओडीटीईपी की वापसी की दरों को लेकर पूर्व वाणिज्य सचिव जीके पिल्लै समिति की रिपोर्ट पर भरोसा करती रही है। बहरहाल अमेरिका पिल्लै समिति की रिपोर्ट को नहीं मानती।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘भारत को एक आधिकारिक सत्यापन व्यवस्था विकसित करने की जरूरत है, जिससे कि यह यह सुनिश्चित या सत्यापित हो सके कि निर्यातकों को जिस दर से रिफंड मिल रहा है, वह उनके द्वारा भुगतान किए गए कर के भीतर है। अगर कोई निर्यातक 100 रुपये शुल्क और कर के रूप में भुगतान कर रहा है तो रिफंड 100 रुपये या उसके भीतर होना चाहिए।’ वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग और वाणिज्य विभाग पुष्टि की प्रक्रिया के लिए संस्थागत व्यवस्था बनाने के लिए परामर्श कर रहे हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘इस व्यवस्था का एक प्रारूप होगा। फील्ड स्तर पर टीमें होंगी, जिनका गठन किया जाएगा। वाणिज्य विभाग अब टीम बनाने व क्या करें व क्या न करें की सूची बनाने के लिए राजस्व विभाग से सलाह ले रहा है। एक संस्थागत व्यवस्था स्थापित किए जाने की जरूरत है।’
पूर्व ट्रेड अधिकारी और थिंक टैंक जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि डब्ल्यूटीओ नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने और अतिरिक्त भुगतान को रोकने के लिए वास्तविक इनपुट की नियमित जांच की जानी चाहिए।