पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के चौथे विस्तार को मंजूरी दे दी है। मामले से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी। इस योजना के तहत देश भर में अभी 26 लाख आवेदन लंबित हैं।
आधिकारिक सूत्र ने कहा, ‘देश में रसोई गैस (एलपीजी) की पहुंच अब लगभग सभी परिवारों तक हो गई है। यह अप्रैल 2016 में योजना शुरू किए जाने के वक्त 62 प्रतिशत थी। बहरहाल अभी आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के तमाम आवेदक हैं। सरकार उन्हें शामिल करने के लिए योजना को विस्तार देने पर विचार कर रही है।’
मई 2016 में शुरू की गई इस प्रमुख योजना का मकसद ग्रामीण और वंचित परिवारों को रसोई गैस जैसा साफ सुथरा ईंधन मुहैया कराना है, जो परंपरागत ईंधनों जैसे लकड़ी, कोयले, गोबर से बने उपलों का इस्तेमाल करते हैं। एक जुलाई तक के आंकड़ों के मुताबिक देश में पीएमयूवाई के 10.33 करोड़ लाभार्थी हैं, जो रसोई गैस कनेक्शन वाले भारत के कुल 31.4 करोड़ परिवारों का एक तिहाई हैं।
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक इनमें से 2.03 करोड़ लाभार्थी या करीब 20 प्रतिशत ने 2023-24 में 6 रिफिल से ज्यादा लिया है। सरकार ने सितंबर 2023 में पीएमयूवाई को 2026 तक के लिए बढ़ा दिया था और घोषणा की थी कि इस दौरान कम से कम 75 लाख नए कनेक्शन दिए जाएंगे।
सरकार द्वारा संसद को दी गई जानकारी के मुताबिक तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) ने इस साल जुलाई तक तीसरे विस्तार की योजना के मुताबिक अतिरिक्त कनेक्शन दे दिए हैं।
मंत्रालय ने संसद को जानकारी दी है कि इसके बावजूद लक्षित रसोई गैस सब्सिडी योजना के तहत अभी भी देश में 26.79 लाख आवेदन लंबित पड़े हैं। इनमें से 56.5 प्रतिशत आवेदक एक राज्य, पश्चिम बंगाल के हैं। इसके बाद असम से 1.89 लाख लंबित आवेदन हैं। सरकार ने कहा है कि इन आवेदनों को स्वीकार करने की कोई समय सीमा तय नहीं की गई है।
पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, ‘हम योजना को विस्तार देने के लिए तैयार हैं। इस पर अन्य मंत्रालयों को भी सूचना दे दी गई है। अंतिम मंजूरी वित्त मंत्रालय को देनी है।’
बढ़ रही सब्सिडी
इस योजना के तहत सरकार 2200 रुपये प्रति कनेक्शन सहायता देती है। उज्ज्वला योजना के पहली बार के लाभार्थी को सरकार पहली रिफिल और गैस चूल्हा मुहैया कराती है। अक्टूबर 2023 से पीएमयूवाई के तहत साल में 12 रिफिल के लिए 300 रुपये प्रति रिफिल सब्सिडी दी जा रही है।
मई 2022 के बाद सब्सिडी पहले के 200 रुपये प्रति सिलिंडर से बढ़ी है। इसकी वजह से वित्त वर्ष 2025 में रसोई गैस सब्सिडी का खजाने पर बोझ बढ़कर 13,000 करोड़ रुपये हो गया है, जो वित्त वर्ष 2024 में 7,680 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2023 में 6,180 करोड़ रुपये था।
वहीं दूसरी तरफ देश भर में सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन का कवरेज बढ़ाने का काम भी चल रहा है। सरकार के लक्ष्य के मुताबिक 2030 तक एनर्जी बास्केट में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत हो जाएगी, जो इस समय 6.8 प्रतिशत है।