भारत और ब्रिटेन जनवरी की शुरुआत में मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर फिर बातचीत शुरू कर सकते हैं। मगर श्रम, पर्यावरण और सामाजिक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर आम सहमति बनाना अभी भी मुश्किल दिख रहा है।
इस मामले से अवगत लोगों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि एफटीए वार्ता पहले हुई प्रगति से आगे चर्चा शुरू करेगी, मगर यह जरूरी नहीं है कि ऋषि सुनक के नेतृत्व वाली पिछली सरकार ने जिन मुद्दों पर सहमति जताई थी, वे सभी उसमें शामिल हों।
उदाहरण के लिए, ब्रिटेन में लेबर पार्टी की सरकार एफटीए वार्ता में श्रम, पर्यावरण पर प्रतिबद्धता आदि आधुनिक व्यापार मुद्दों की अपेक्षा करेगी। हालांकि भारत श्रम एवं पर्यावरण के मोर्चे पर बिना किसी बाध्यकारी प्रतिबद्धता के ‘सर्वोत्तम प्रयास’ जोर देता रहा है।
इसी प्रकार किअर स्टॉर्मर के नेतृत्व वाली नई सरकार भी कार्बन बॉर्डर टैक्स लागू करने के पक्ष में है, लेकिन भारत उसका जोरदार विरोध कर रहा है। इसके अलावा भारत एफटीए के तहत राहत उपायों के लिए भी सौदेबाजी कर रहा है।
इस मामले से अवगत एक व्यक्ति ने कहा, ‘ब्रिटेन ने सुनक के कार्यकाल में कार्बन बॉर्डर टैक्स लागू करने की घोषणा की थी। ब्रिटेन की मौजूदा सरकार से राहत उपायों की उम्मीद करना अधिक मुश्किल हो सकता है।’
काउंसिल फॉर सोशल डेवलपमेंट के प्रतिष्ठित प्रोफेसर विश्वजित धर ने कहा कि श्रम और पर्यावरण जैसे मुद्दे ब्रिटेन के एजेंडे में सबसे ऊपर हैं। धर ने कहा, ‘पश्चिमी यूरोप में श्रम मानकों को लागू करने में यही रुझान दिखा है। इसकी शुरुआत उस दौरान हुई थी जब ब्रिटेन यूरोपीय संघ का हिस्सा था। यह आपूर्ति श्रृंखला के लिए जांच-परख की दिशा में उठाया गया एक कदम है। जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों के साथ इसकी शुरुआत पहले ही हो चुकी है। यह उस बड़े एजेंडे का हिस्सा है जिसे विकसित देशों ने लागू किया है। यहां तक कि आईपीईएफ (इंडो पैसिफिक इकनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी) भी उसी दिशा में आगे बढ़ रहा है।’
धर ने कहा कि विकसित देश इसे बहुपक्षीय तौर पर लागू नहीं करवा पा रहे हैं और इसलिए वे द्विपक्षीय एफटीए के जरिये इसे आगे बढ़ा रहे हैं।
पिछले सप्ताह भारत और ब्रिटेन ने कहा कि दोनों देशों में आम चुनावों के कारण कई महीने तक रुकने के बाद एफटीए वार्ता अगले साल फिर शुरू होगी। ब्राजील में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किअर स्टॉर्मर के बीच हुई बैठक के बाद यह घोषणा की गई। यह दोनों नेताओं की पहली बैठक थी।
भारत और ब्रिटेन जनवरी 2022 से ही इस व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। अब तक दोनों देशों के बीच 14 दौर की वार्ता हो चुकी है। एफटीए वार्ता में महत्त्वपूर्ण प्रगति और 14 दौर की वार्ता होने के बावजूद प्रस्तावित सामाजिक सुरक्षा समझौते (एसएसए) पर गतिरोध बरकरार है। यह भारत की एक प्रमुख मांग है।
सूत्र ने कहा, ‘सामाजिक सुरक्षा समझौता ब्रिटेन की नई सरकार के लिए भी एक कठिन निर्णय बना रहेगा क्योंकि यह राजनीतिक तौरर पर एक संवेदनशील मामला है।’ यह कुशल, पेशेवर सीमा पार श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए दोनों देशों द्वारा हस्ताक्षरित द्विपक्षीय समझौता होता है। इसके तहत यह सुनिश्चित किया जाता है कि श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा संबंधी अंशदान दोनों देशों में न कया जाए।
एक अन्य प्रमुख मुद्दा द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) है जो विशेष रूप से विवादों के समाधान से संबंधित है। सूत्र कहा कि ब्रिटेन की पिछली सरकार एफटीए और बीआईटी दोनों को एक साथ अंतिम रूप देना चाहती थी। मगर अब यह देखना बाकी है कि नई सरकार किसे प्राथमिकता देती है।
अन्य विवादित मुद्दों में कुशल पेशेवरों की आवाजाही के साथ सेवा क्षेत्र में भारत की मांग, व्हिस्की एवं वाहन पर कम शुल्क की ब्रिटेन की मांग और भारत के कानून, आर्किटेक्चर एवं वित्तीय सेवा जैसे क्षेत्रों को खोलना शामिल है।