जनवरी का महीना देश के आयात और निर्यात के लिहाज से अच्छा नहीं रहा। इस महीने में दोनों पर ही वैश्विक मंदी का असर दिखा।
घरेलू और विदेशी मांग में कमी आने की वजह से आयात और निर्यात ने 1998 के बाद से सबसे खस्ता आंकड़े दिखाए। वाणिज्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक लगातार चौथे महीने निर्यात में कमी आई।
जनवरी में यह 16 फीसदी घटकर 1238 करोड़ डॉलर रह गया। इस दौरान आयात 18.2 फीसदी कमी के साथ 1845 करोड़ डॉलर पर सिमट गया। यह बात दीगर है कि इस वजह से व्यापार घाटे में कमी आई।
पिछले महीने इसका आंकड़ा 600 करोड़ डॉलर रहा, जबकि जनवरी 2008 में व्यापार घाटा 780 करोड़ डॉलर रहा था। अगस्त 2008 में तो व्यापार घाटा बढ़कर 1,400 करोड़ डज्ञॅलर तक पहुंच गया था। इससे पहले मार्च 2003 में ही आयात और निर्यात में एक साथ कमी आई थी।
और भी लुढ़क गया रुपया
रुपये में गिरावट का सिलसिला रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। सोमवार को एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 51.94 रुपये तक गिर गई। यह रुपये का न्यूनतम स्तर है। बीते शुक्रवार को रुपये की कीमत एक डॉलर के मुकाबले 51.17 रुपये हुई थी।