वित्त वर्ष 2025 की सितंबर तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि 6 तिमाहियों के निचले स्तर पर आ सकती है। उच्च संकेतकों से पता चलता है कि खासकर विनिर्माण क्षेत्र में सुस्ती के कारण ऐसी संभावना है। वित्त वर्ष 2025 की जून तिमाही के दौरान अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत थी। भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने अक्टूबर के बुलेटिन में वृद्धि अनुमान घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया, जबकि गवर्नर शक्तिकांत दास ने अक्टूबर की मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद 7 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान बताया था। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय 29 नवंबर को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े जारी करेगा।
सितंबर तिमाही के दौरान औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) की वृद्धि दर सुस्त होकर 2.6 प्रतिशत पर आ गई थी, जो जून तिमाही में 5.45 प्रतिशत थी। इसमें विनिर्माण, बिजली और खनन उत्पादन शामिल होता है। अन्य उच्च संकेतकों में स्टील और सीमेंट की खपत, बैंक ऋण, घरेलू यात्री वाहनों की बिक्री और दोपहिया वाहनों की बिक्री भी वित्त वर्ष 2025 की जून तिमाही की तुलना में सितंबर तिमाही में कमजोर रही है। बहरहाल केंद्र सरकार का पूंजीगत व्यय, जीएसटी ईवे बिल और घरेलू उड्डयन के यात्रियों की संख्या सितंबर तिमाही में क्रमिक आधार पर बढ़ी है।
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता ने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र में सुस्ती के कारण सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। उन्होंने कहा, ‘वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में सूचीबद्ध कंपनियों के परिणामों से मुनाफे में वृद्धि में गिरावट के साथ राजस्व वृद्धि में सुस्ती नजर आ रही है। एफएमसीजी की बिक्री, उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन और यात्री वाहन की बिक्री में सुस्त वृद्धि के साथ शहरी मांग कमजोर बनी हुई है। शहरी इलाकों में वेतन वृद्धि वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही से कम रही है, जिससे कंपनियों के मुनाफे में वृद्धि की कमी के संकेत देती है।’
सकारात्मक पहलुओं के बारे में सेन गुप्ता ने कहा कि ग्रामीण मांग और सरकार के अधिक व्यय से वृद्धि को समर्थन मिलेगा। उन्होंने कहा, ‘वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में लगातार दूसरी तिमाही ग्रामीण इलाकों में एफएमसीजी की बिक्री, शहरी बिक्री से आगे निकल गई है। वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में गिरावट के बाद वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में सरकार का राजस्व व्यय बढ़ा है। आम चुनाव के कारण वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में सरकार के व्यय की गति बाधित हुई थी।’
रिजर्व बैंक ने अपने अक्टूबर के परिदृश्य में कहा कि सितंबर में आपूर्ति श्रृंखला पर दबाव कम हुआ है और यह ऐतिहासिक औसत से नीचे है, हालांकि भूराजनीतिक जोखिम के कारण यह अनिश्चित बना हुआ है, जो अक्टूबर में बढ़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कुछ उच्च संकेतकों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही के दौरान रफ्तार में कमी आई है, क्योंकि अगस्त और सितंबर में बेमौसम बारिश जैसी वजहों का आंशिक असर रहा है।’
भारतीय स्टेट बैंक ने एक रिपोर्ट में कहा है कि उच्च संकेतकों से कुछ मिली जुली तस्वीर उभरकर सामने आती है। इसमें कहा गया है, ‘उदाहरण के लिए घरेलू यात्री वाहनों की बिक्री, जो शहरी मांग का संकेतक होता है, के साथ खपत और मांग के अन्य संकेतक जैसे डीजल की खपत, बिजली की मांग और बिटुमेन की खपत कम हुई है। ट्रांसपोर्ट और कम्युनिकेशन के संकेतक जैसे विमानों का यात्री किराया और मालभाड़ा और टोल संग्रह बढ़ा है।’ स्टेट बैंक 50 प्रमुख संकेतकों पर नजर रखता है।