अर्थव्यवस्था

अर्थव्यवस्था मजबूत महंगाई होगी नरम: RBI

रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्य मुद्रास्फीति अगस्त में थोड़ी घटी है जबकि जुलाई में यह काफी ऊपर पहुंच गई थी।

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अभिजित लेले   
Last Updated- September 18, 2023 | 10:53 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अर्थव्यवस्था की ​स्थिति रिपोर्ट जारी करते हुए आज कहा कि घरेलू मोर्चे पर बेहतर प्रदर्शन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूती आ रही है और आपूर्ति में भी सुधार हो रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्य मुद्रास्फीति अगस्त में थोड़ी घटी है जबकि जुलाई में यह काफी ऊपर पहुंच गई थी।

सितंबर में भी खुदरा मुद्रास्फीति में नरमी आने की उम्मीद है। स​ब्जियों की कीमतों में कमी के कारण खुदरा मुद्रास्फीति नरमी आई है। अभी स​ब्जियों के दाम वाजिब स्तर पर नहीं आए हैं, इसलिए अगले कुछ हफ्तों में महंगाई दर और नीचे आ सकती है।

अगस्त में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति कम होकर 6.8 फीसदी रही थी, जो जुलाई में 7.4 फीसदी थी। हालांकि अब भी यह आरबीआई के 2 से 6 फीसदी के सहज दायरे से ऊपर बनी हुई है।

अनुकूल आधार प्रभाव के कारण खाद्य पदार्थों की महंगाई जुलाई के 10.6 फीसदी से अगस्त में घटकर 9.2 फीसदी रह गई। स​ब्जियों की महंगाई में तेजी से कमी आई है, लेकिन अब भी यह काफी ज्यादा है। मौद्रिक नीति के उपायों की वजह से मुद्रास्फीति में ​स्थिरता दिख रही है, जो वस्तुओं एवं सेवाओं दोनों की महंगाई कम होने का संकेत देता है।

आ​र्थिक वृद्धि का जिक्र करते हुए आरबीआई की रिपोर्ट कहती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूती आ रही है। रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक प्रगति के लिए ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की सोच के साथ भारत की जी20 अध्यक्षता और इससे मिले नतीजे तब अहम हो जाते हैं, जब तमाम क्षेत्रों में वृहद-आर्थिक स्थितियों में द्वंद्व के कारण वैश्विक आर्थिक गतिविधियां अपनी रफ्तार गंवाती जा रही हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कमजोर वैश्विक संभावनाओं के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था निजी खपत और मजबूत सार्वजनिक क्षेत्र के पूंजीगत व्यय के साथ ​स्थिर निवेश जैसे घरेलू कारणों से मजबूत हो रही है।

घरेलू मांग के समर्थन से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में लाभ हुआ है। पिछले कुछ सप्ताह के दौरान परिधान व लाइफस्टाइल के खुदरा कारोबारियों और शॉपिंग मॉल की बिक्री में तेज रिकवरी हुई है। इसकी वजह से शेष त्योहारी सीजन में भी मांग में तेजी रहने की उम्मीद बनी है, जो रक्षा बंधन और ओणम के साथ शुरू हुआ है और लोगों का विवेकाधीन खुदरा व्यय बढ़ा है।

इलेक्ट्रॉनिक्स व वाहन दूसरा क्षेत्र हो सकता है, जिसमें त्योहार के दौरान खर्च बढ़ेगा। यह भी संकेत हैं कि रोजमर्रा के इस्तेमाल की उपभोक्ता वस्तुओं (एफएमसीजी) भी एक साल के दबाव के बाद धनात्मक क्षेत्र में वापसी कर रहा है।

एक प्रमुख संकेतक महंगाई दर है, जिसमें सितंबर महीने में तेज गिरावट की संभावना है। इससे उम्मीद बन रही है। आगे की स्थिति देखें तो भारत का उपभोक्ता बाजार 2027 तक विश्व का तीसरा सबसे बड़ा बाजार बन जाने की उम्मीद है, जिसमें परिवारों का प्रति व्यक्ति खर्च एशिया की अन्य विकासशील अर्थव्यवस्थाओं से आगे बढ़ जाएगा।

निवेश के हिसाब से देखें तो केंद्र के बड़े सार्वजनिक उपक्रमों (सीपीएसई)का पूंजीगत व्यय सालाना लक्ष्य का 42 प्रतिशत है। राजमार्ग, पेट्रोलियम और रेलवे ने भी 2023-24 के पहले 5 महीने में पूंजीगत व्यय तेज किया है।

राज्यों ने भी अपना पूंजीगत व्यय पिछले साल की तुलना में 50 प्रतिशत बढ़ाया है। वहीं निजी क्षेत्र का पूंजीगत व्यय सुस्त है। बहरहाल इसका नकारात्मक पक्ष नया उभरता जोखिम है।

रिपोर्ट मे कहा गया है कि वैश्विक वित्तीय स्थिरता को नया जोखिम वैश्विक जिंस बाजारों से आ रहा है और कच्चे तेल की कीमत 90 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई है। सऊदी अरब और रूस द्वारा उत्पादन घटाने तेल 10 माह के उच्च स्तर पर है। अमेरिकी डॉलर की मजबूती से भी कच्चे तेल की कीमत बढ़ रही है।

First Published : September 18, 2023 | 10:53 PM IST