अर्थशास्त्रियों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को 2021-22 के बजट में राजकोषीय घाटे के समेकन में राहत दिए जाने और देश से निर्यात बढ़ाने की कवायद तेज करने का सुझाव दिया है। उन्होंने स्वास्थ्य पर व्यय बढ़ाने और कृषि बुनियादी ढांचे पर जोर देने की भी वकालत की है, क्योंकि इसके बगैर हाल में किए गए कृषि सुधार का असर जमीनी स्तर पर नजर नहीं आएगा।
बजट पूर्व विमर्श में शनिवार को उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटे का ढांचा दो साल बाद सामान्य पर वापस आ सकता है। अर्थशास्त्रियों के साथ एक और बैठक बुधवार को होनी है।
महामारी के दौरान राजस्व की स्थिति पर दबाव होने और आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने के लिए खर्च करने का दबाव बढऩे की वजह से राजकोषीय घाटा पहले ही अक्टूबर 2020-21 के अंत तक बजट अनुमान से 20 प्रतिशत ज्यादा हो चुका है।
वित्त वर्ष की पहली छमाही में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 10.71 प्रतिशत पर पहुंच गया है, जबकि बजट में 3.5 प्रतिशत का अनुमान लगाया गया था। हर कोई इस बात पर सहमत था कि कोविड से जुड़े लॉकडाउन के कारण बजट अनुमान सही साबित नहीं होने वाला है। अब 12 लाख करोड़ रुपये बाजार उधारी है। राजकोषीय घाटा पहले ही 9.53 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है। वहीं अगले 5 महीनों में 2.47 लाख करोड़ रुपये और राजकोषीय घाटे की उम्मीद है।
ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का कहना है कि सामाजिक क्षेत्र, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे पर व्यय बढ़ाया जाना चाहिए। स्वास्थ्य के मामले में आम राय यह है कि इसे बढ़ाकर जीडीपी के 1.25 प्रतिशत से ऊपर किया जाना चाहिए।
इनमें से कुछ का कहना है कि कृषि बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जाना चाहिए और अगर कृषि बुनियादी ढांचे में सुधार नहीं किया जाता है, तो विपणन में सुधार पर्याप्त नहीं होगा। उनका कहना है कि जल्द से जल्द कृषि बुनियादी ढांचा कोष का 1,00,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाने चाहिए।
कुछ अर्थशास्त्रियों ने हाल के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस) का हवाला दिया और कहा कि बच्चों के पोषण के स्तर में गिरावट को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और इसके लिए समेकित बाल विकास सेवाओं (आईसीडीए) आदि जैसी योजनाओं को मजबूत करना चाहिए।
इसके अलावा एमएसएमई के भुगतान के लिए नियत समयसीमा तय करने का भी सुझाव दिया गया, जिससे कि उन्हें लंबे समय तक भुगतान के लिए इंतजार न करना पड़े।
उद्योग संगठन पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने वित्त मंत्री के साथ बैठक में बजट 2021-22 के बजट में 10 रणनीतियों का सुझाव दिया। इसमें मांग व खपत बहाल करना, निजी निवेश को बढ़ावा देना, बुनियादी ढांचे पर निवेश, औद्योगिक और बुनियादी ढांचे संबंधी निवेश के वित्तपोषण के लिए वित्तीय संस्थान बनाना, सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों को मजबूत करना, कारोबार करने की लागत कम करना, निर्यात सुगम बनाना, कर व जीडीपी का अनुपात बढ़ाना, कृषि और ग्रामीण क्षेत्र पर ध्यान देना और सामाजिक बुनियादी ढांचे में प्रभावी सुधार शामिल है। उन्होंने व्यक्तिगत आयकर दरों को कम रखने की वकालत करते हुए कहा कि इस तरह के किसी भी कदम से कर का आधार बढ़ेगा और कर जीडीपी अनुपात में सुधार होगा।