अर्थव्यवस्था

Economic Survey 2024: 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए उद्योग जगत को रोजगार पैदा करने पर देना होगा जोर

‘सोशल मीडिया, स्क्रीन पर समय गुजारने और गलत खान-पान ऐसा घातक मिश्रण है जो लोगों के स्वास्थ्य और उत्पादकता को कमजोर कर सकता है और भारत की आर्थिक क्षमता प्रभावित हो सकती है।'

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देव चटर्जी   
Last Updated- July 22, 2024 | 9:32 PM IST

Economic Survey 2024: वित्त वर्ष 2023-24 की आ​र्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत में निजी क्षेत्र की कंपनियों को सरकार से रोजगार सृजन की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और नई निर्माण क्षमताओं में निवेश करना चाहिए, जिससे कि देश 2047 तक विकसित भारत बनने की अपनी यात्रा पूरी कर सके।

यह स्वीकार करते हुए कि वित्त वर्ष 2024 में कोविड के बाद भारतीय कंपनियों के निवेश में इजाफा हुआ, समीक्षा में इस बात पर जोर दिया गया कि रोजगार सृजन निजी क्षेत्र के लिए वास्तविक आधार है।

समीक्षा में कहा गया है, ‘यह फिर से बताना जरूरी है कि रोजगार सृजन मुख्य तौर पर निजी क्षेत्र में होता है। दूसरी बात, आ​र्थिक वृद्धि, रोजगार सृजन और उत्पादकता को प्रभावित करने वाली कई समस्याएं और उनसे संबं​धित की जाने वाली कार्रवाई राज्य सरकारों के अ​धिकार क्षेत्र में है। इसलिए, भारतीयों की बढ़ती आकांक्षाओं को पूरा करने और 2047 तक विकसित भारत की यात्रा पूरी करने के लिए भारत को पहले से ज्यादा त्रिपक्षीय समझौते की आवश्यकता है।’

वित्तीय प्रदर्शन के संदर्भ में समीक्षा में कहा गया है कि कॉरपोरेट क्षेत्र का प्रदर्शन इतना अच्छा कभी नहीं रहा। 33,000 से अधिक कंपनियों के वित्तीय परिणामों का हवाला देते हुए समीक्षा में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2020 से वित्त वर्ष 2023 के बीच तीन वर्षों में भारतीय कॉरपोरेट क्षेत्र का कर-पूर्व लाभ लगभग चार गुना हो गया और मीडिया की खबरों के अनुसार, कॉरपोरेट लाभ-जीडीपी अनुपात भी वित्त वर्ष 2024 में 15 साल के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया।

समीक्षा में कहा गया है, ‘भर्ती और पगार वृद्धि मु​श्किल से ही इस तरक्की के अनुरूप रही। यह कंपनियों के हित में है कि वे भर्ती और कर्मचारियों की पगार बढ़ाएं। केंद्र सरकार ने पूंजी निर्माण को सुविधाजनक बनाने के लिए सितंबर 2019 में करों में कटौती की। क्या कॉरपोरेट क्षेत्र ने इस अनुरूप अपनी प्रतिक्रिया दी है?’ इसमें कहा गया है कि वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2023 के बीच निजी क्षेत्र के गैर-वित्तीय सकल स्थायी पूंजी निर्माण (GFCF) में संचयी वृद्धि वर्तमान मूल्यों पर 52 फीसदी है।

इसी अव​​धि के दौरान, सरकार (जिसमें राज्य भी शामिल हैं) में संचयी वृद्धि 64 फीसदी रही।

समीक्षा में कहा गया है, ‘यह अंतर बहुत बड़ा नहीं लगता। हालांकि, जब हम इसे टुकड़ों में देखते हैं, तो एक अलग तस्वीर सामने आती है। मशीनरी और उपकरण तथा बौद्धिक संपदा उत्पादों में निजी क्षेत्र के GFCF में वित्त वर्ष 2023 तक के चार वर्षों में संचयी रूप से केवल 35 फीसदी की वृद्धि हुई। इस बीच, ‘आवास, अन्य इमारतों और संरचनाओं’ में इसके GFCF में 105 फीसदी की वृद्धि हुई है। यह एक अच्छा मिश्रण नहीं है।’

इसके अलावा, समीक्षा में यह भी चेतावनी दी गई है कि मशीन और उपकरण तथा बौद्धिक उत्पादों (IP/Intellectual Property) में निवेश की सुस्त रफ्तार से GDP में निर्माण की भागीदारी बढ़ाने की भारत की को​शिश को झटका लगेगा और कम संख्या में उच्च गुणवत्ता वाली नौकरियां पैदा होंगी।

भारत की कामकाजी आबादी को अच्छा रोजगार प्राप्त करने के लिए बेहतर कौशल और अच्छे स्वास्थ्य की आवश्यकता है। समीक्षा में कहा गया है, ‘सोशल मीडिया, स्क्रीन पर समय गुजारने, खाली बैठे रहने की आदतें और गलत खान-पान ऐसा घातक मिश्रण है जो लोगों के स्वास्थ्य और उत्पादकता को कमजोर कर सकता है और भारत की आर्थिक क्षमता प्रभावित हो सकती है। आदतों के इस जहरीले मिश्रण में निजी क्षेत्र का काफी योगदान है, और यह अदूरदर्शिता है।’

First Published : July 22, 2024 | 9:32 PM IST