पिछड़ी जातियों के लिए केंद्र सरकार के सहयोग से चल रहे शिक्षण संस्थानों में लागू आरक्षण में क्रीमी लेयर के मानक चर्चा में हैं।
केंद्र सरकार की नौकरियों में लागू आरक्षण व्यवस्था में चल रहे क्रीमी लेयर केमानक पहले ही निर्धारित हैं। इन्ही मानकों को शिक्षण संस्थानों में भी दोहराया जा सकता है। हालांकि कुछ राजनीतिक दलों ने इस पर सवाल भी उठाया है। उनका कहना है कि क्रीमी लेयर के मानकों के चलते सरकारी नौकरियों में ओबीसी का प्रतिनिधित्व नहीं बढ़ रहा है।
राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे पर संसद में बहस का मन बनाया है। इसी क्रम में 150 सदस्यों के पिछड़ी जातियों के सांसदों के दल की बैठक 22 अप्रैल को होनी है। इस फोरम के अध्यक्ष और कांग्रेस के सांसद हनुमंत राव का स्पष्ट कहना है कि हाल की परिभाषा के मुताबिक निर्धारित आय सीमा को पुनरीक्षित कर ठीक किए जाने की जरूरत है। ee
उन्होंने कहा, ‘छठे वेतन आयोग के लागू होने के बाद से यह जरूरी हो गया है कि क्रीमी लेयर के लिए आय की सीमा 2.5 लाख सालाना से बढ़ाकर 6-7 लाख रुपये सालाना किए जाने की जरूरत है। इससे पढ़ाई पर आने वाले खर्च को वहन करने में सक्षम लोगों के बच्चे शिक्षा पा सकेंगे।