दुनिया में भारी उथल-पुथल और अनिश्चितताओं के बावजूद भारत में आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार मजबूत बनी हुई है। नियमित अंतराल पर आने वाले आर्थिक आंकड़े ऐसे ही संकेत दे रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ पर अपनी रिपोर्ट में यह बात कही। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल में ऋण आवंटन की रफ्तार सुस्त रहने के बावजूद वित्तीय हालात मोटे तौर पर अनुकूल रहे जिससे रीपो दर में कटौती का लाभ आसानी से सभी क्षेत्रों को उपलब्ध हो पाया। नीतिगत दरों का निर्धारण करने वाली आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने फरवरी से जून के दरमियान रीपो दर 100 आधार अंक घटाकर 5.5 प्रतिशत कर दी है।
अर्थव्यवस्था की स्थिति पर आरबीआई की इस रिपोर्ट में कहा गया है, ‘वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारी उतार-चढ़ाव दिख रहा है। वैश्विक अर्थव्यवस्था पर व्यापार नीति से जुड़ी अनिश्चितता और बिगड़े भू-राजनीतिक हालात की दोहरी मार पड़ रही है।’
रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में प्रतिकूल हालात के बावजूद मई 2025 में कई आंकड़े भारत में आर्थिक गतिविधियां मजबूत रहने के संकेत दे रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी औद्योगिक एवं सेवा क्षेत्रों में आर्थिक क्रियाकलाप लगातार मजबूत दिख रहे हैं।
इस रिपोर्ट में व्यक्त विचार इसके लेखकों के हैं और इन्हें आरबीआई का आधिकारिक बयान नहीं माना जा सकता। रिपोर्ट में कहा गया कि शुल्कों पर अस्थायी रोक और व्यापार सौदों से मई और जून के शुरू में वित्तीय बाजार का मिजाज बुलंद रहा मगर यह खुशी अधिक समय तक नहीं टिक पाई। ईरान और इजरायल के बीच युद्ध शुरू होने के बाद बढ़ी अनिश्चितताओं ने वित्तीय बाजारों को एक बार फिर अपनी गिरफ्त में ले लिया। रिपोर्ट में जून में जारी ओईसीडी और विश्व बैंक की रिपोर्ट का भी जिक्र है जिसमें शुल्क बाधाओं एवं पाबंदियों के कारण मध्यम अवधि में वैश्विक आर्थिक संभावनाएं प्रभावित होने की आशंका जताई गई है।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘मगर घरेलू मोर्चे पर हालात बेहतर लग रहे हैं। मई में जारी अस्थायी अनुमानों में वर्ष 2024-25 में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने की पुष्टि की गई है। अनुमानों के अनुसार चौथी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में तेजी दर्ज हुई।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पीएमआई में भी तेजी भी दुनिया के कई देशों की तुलना में अधिक रही। अन्य देशों में मई में निर्यात के नए सौदों में कमी आई मगर भारत इस मामले में उनसे अलग रहा है और अधिक सौदे हासिल किए।
रिपोर्ट के अनुसार विनिर्माण कंपनियों द्वारा क्षमता का उपयोग इसकी दीर्घ अवधि के औसत से अधिक रहा। कृषि क्षेत्र के दमदार प्रदर्शन से ग्रामीण क्षेत्रों में मांग भी शानदार रही। रिपोर्ट में कहा गया, ‘ये बातें भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती का सकेत देती हैं। वैश्विक स्तर पर व्यापार एवं शुल्कों को लेकर अनिश्चितता और गंभीर भू-राजनीतिक हालात के बावजूद भारत में आर्थिक क्रियाकलापों में कमी नहीं आई है।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि मुद्रास्फीति निचले स्तर पर है और समग्र मुद्रास्फीति मई में लगातार चौथे महीने आरबीआई के लक्ष्य से कम रही। ऋण आवंटन के संबंध में रिपोर्ट में कहा गया कि अप्रैल में इसकी रफ्तार खासकर कृषि एवं सेवा क्षेत्रों में जरूर कम हुई मगर अन्य स्रोतों से मिलने वाले ऋणों की गति ठीक रही।