अर्थव्यवस्था

लाल सागर संकट पर चिंता बरकरारः पीयूष गोयल

निर्यात को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना और बीआईटी महत्वपूर्ण हैं

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श्रेया नंदी   
Last Updated- February 05, 2024 | 11:52 AM IST

लाल सागर में संकटपूर्ण स्थिति से बचने के लिए व्यावसायिक मालवाहक जहाज लंबे मार्ग से जाने के लिए मजबूर हैं। ऐसे में इनके बढ़ते शुल्क के असर को देखते हुए सरकार की चिंता भी बढ़ रही है। वाणिज्य एवं उद्योग और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने बजट के बाद श्रेया नंदी को दिए गए एक साक्षात्कार में इस पर चर्चा की

इस हफ्ते की शुरुआत में वित्त मंत्री ने कहा कि लाल सागर संकट से मुद्रास्फीति पर असर पड़ सकता है। क्या यह उम्मीद की जाए कि सरकार इसमें हस्तक्षेप करेगी और इस मोर्चे पर अपना समर्थन देगी?

हम लोग इसको लेकर चिंतित हैं। चिंता की वजह यह है कि हमारे मालवाहक जहाजों के आने में देरी हो रही है और अगर ये जहाज केप ऑफ गुड होप के रास्ते से आते हैं तब ये और महंगे साबित हो रहे हैं। हमें उम्मीद थी कि इसका समाधान जल्द ही निकल जाएगा लेकिन ऐसा लगता है कि इसमें थोड़ा लंबा वक्त लगेगा। अगर इस तरह की स्थितियां नहीं बनती तब व्यापारिक वस्तुओं के निर्यात में फिर से वृद्धि दिख सकती थी।

पिछले साल नवंबर, दिसंबर तक रुझान सही दिख रहे थे लेकिन फिर हूती बागियों के चलते निर्यात में परेशानी बढ़ गई। भारत सहित कई सरकारे एहतियात उपाय कर रही हैं ताकि सुरक्षित तरीके से जहाजों का आवागमन हो सके। निर्यातक अब आत्मनिर्भर हैं और हम निर्यात प्रोत्साहन पाने जैसी मानसिकता से ऊपर उठने में सफल रहे हैं।

बजट के मुताबिक उद्योग विभाग खिलौने, चमड़ा और फुटवियर क्षेत्र के लिए नई पीएलआई योजना पर विचार कर रहा है और कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार हो रहा है। लेकिन यह भी चर्चा है कि कोई नई पीएलआई योजना लागू नहीं की जाएगी..

पीएलआई योजना के लिए हमारा कुल आवंटन 1.97 लाख करोड़ रुपये का है। हम विभिन्न क्षेत्रों के जरिये 1.56 लाख करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता जता चुके हैं। हमारे में अच्छी बचत है। जहां तक खिलौने, चमड़े और फुटवियर के लिए नई पीएलआई का सवाल है तो यह मंत्रिमंडल के फैसले पर निर्भर करेगा। हम यह देखना चाहते हैं कि मौजूदा पीएलआई योजनाएं कितनी प्रभावी हैं।

यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के अलावा द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) के तहत कितने देशों के साथ बातचीत की जा रही है?

कई देशों के साथ विभिन्न स्तर पर बातचीत चल रही है। कई बीआईटी को वर्ष 2016 में रद्द कर दिया गया। कई देश बातचीत कर रहे हैं जबकि कई देश बीआईटी नहीं चाहते हैं। पहले लोग भारत को अपनी शर्तें बताते थें और भारत उस दबाव में काम करता था। करीब 10-12 साल पहले जो मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) हुए, उससे भारत को नुकसान हुआ है।

First Published : February 1, 2024 | 11:26 PM IST