प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में निजी क्षेत्रों द्वारा पूंजीगत व्यय में तेज गिरावट आई है। पिछले 15 वर्षों में निजी क्षेत्र से पूंजी निवेश में आई यह दूसरी सबसे बड़ी गिरावट है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआई) के नवीनतम आंकड़ों में यह बात सामने आई है। निजी क्षेत्र द्वारा पूंजी निवेश में मामूली सुधार के बावजूद इतनी बड़ी कमी दर्ज हुई है।
औद्योगिक एवं बुनियादी ढांचा क्षमता विस्तार में पूंजीगत व्यय पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के 21.7 लाख करोड़ रुपये से कम होकर 4.1 लाख करोड़ रुपये रह गया। विशेषज्ञों के अनुसार दुनिया में जारी व्यापार युद्ध और उपयुक्त क्रियान्वयन रणनीति के अभाव के कारण निजी निवेश में इतनी बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में निजी क्षेत्र से पूंजीगत व्यय वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में दर्ज 16.7 लाख करोड़ रुपये से लगभग 83 प्रतिशत घटकर 2.8 लाख करोड़ रुपये रह गया। सीएमआईई ने एक बयान में कहा, ‘ ये आंकड़े पिछली तिमाही में घोषित 21.8 लाख करोड़ रुपये के नए निवेश से काफी कम हैं लेकिन एक साल पहले की समान तिमाही में घोषित 2.9 लाख करोड़ रुपये नए निवेश से अधिक है।’
परियोजनाएं समय पर पूरी होने की रफ्तार भी थम गई। वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में 1.97 लाख करोड़ रुपये मूल्य की परियोजनाएं ही पूरी हो पाईं जो इससे पिछली तिमाही में पूरी हुईं 2.42 लाख करोड़ मूल्य की परियोजनाओं से 18.7 प्रतिशत कम हैं। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में यह आंकड़ा 744.1 अरब रुपये से 164 प्रतिशत बढ़ गया। 122.7 अरब रुपये मूल्य की परियोजनाएं अटक गईं जबकि जून 2025 तिमाही में 1.2 लाख करोड़ रुपये की ठप परियोजनाएं फिर से शुरू की गईं। नतीजा यह हुआ कि बकाया परियोजनाएं जून 2024 को समाप्त तिमाही की 296.9 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 331.3 लाख करोड़ रुपये हो गईं।
इंडिया रेटिंग्स में सहायक निदेशक पारस जसराय ने कहा कि जून 2020 से जून 2025 तक के आंकड़ों के विश्लेषण से एक खास ढर्रा दिखता है जिसमें नई निवेश परियोजना की घोषणाएं प्रत्येक वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में चरम पर होती हैं और पहली तिमाही में घट जाती हैं।