केंद्र सरकार ने बुधवार को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के तहत छोटे बैंक कर्जदारों को ब्याज पर 2 फीसदी की राहत प्रदान करने वाली एक योजना को मंजूरी प्रदान की।
मुद्रा योजना के शिशु श्रेणी के तहत सभी ऋण खाताधारकों को 12 महीने की अवधि के लिए ब्?याज अनुदान का लाभ दिया जाएगा। हालांकि, इस योजना का लाभ लेने वाला ऋण खाता 31 मार्च, 2020 के मुताबिक गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के तौर पर वर्गीकृत नहीं होना चाहिए। इस योजना से सरकार पर 1,542 करोड़ रुपये का भार पड़ेगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को इसको मंजूरी प्रदान की। इस योजना से करीब 3 करोड़ कर्जदारों को लाभ होगा।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘ब्याज अनुदान उस महीने के लिए दिया जाएगा जिस महीने ऋण खाते एनपीए की श्रेणी में नहीं हैं। इसमें उन महीनों को भी शामिल किया जाएगा जब खाता एनपीए होने के बाद दोबारा से निष्पादित आस्ति बन गया है। इस योजना से ऋणों का नियमित भुगतान करने वालों को फायदा होगा।’ मुद्रा योजना के तहत ऋण की राशि के मुताबिक खातों की तीन श्रेणियां हैं। ऋण की राशि 50,000 रुपये तक रहने पर शिशु, 50,001 रुपये से 5,00,000 रुपये तक किशोर और 5,00,000 से 10,00,000 रुपये तक तरुण।
31 मार्च, 2020 तक पीएमएमवाई की शिशु श्रेणी के तहत ऋण खातों की संख्?या 9.37 करोड़ है जिसके तहत 1.62 लाख करोड़ रुपये का ऋण दिया गया है। पीएमएमवाई के तहत दिए गए कुल ऋणों में से शिशु ऋणधारकों की संख्या आधी है।
मंत्रालय ने कहा, ‘कोविड-19 के जारी संकट और उसके कारण लगाए गए लॉकडाउन ने सूक्ष्?म और छोटे उद्यमों के कारोबार में भीषण दिक्कतें उत्पन्न कर दी है जिन्हें शिशु मद्रा ऋणों के तहत रकम मुहैया कराई जाती है। छोटे करोबारी थोड़े परिचालन मार्जिन पर व्यवसाय करते हैं और मौजूदा लॉकडाउन का उनके नकद प्रवाह पर बहुत ही गहरा असर पड़ा है। इससे ऋणों के भुगतान की उनकी क्षमता खतरे में पड़ गई है।’
सरकार ने निजी क्षेत्र की इकाइयों को डेयरी, पोल्ट्री और मांस प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना करने के लिए कर्ज पर 3 प्रतिशत तक की ब्याज सहायता प्रदान करने के लिए 15,000 करोड़ रुपये के एक नए आधारभूत ढांचा कोष (इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड) बनाने की घोषणा की।
सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ‘मंत्रिमंडल द्वारा 15,000 करोड़ रुपये के कोष को मंजूरी दी गई है जो सभी के लिए होगा तथा यह दूध उत्पादन बढ़ाने, निर्यात बढ़ाने और देश में 35 लाख रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद करेगा।’
सभी सहकारी बैंकों और बहु-राज्यीय सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक की देख रेख के तहत लाया जाएगा। सरकार के इस कदम का मकसद सहकारी बैंकों के जमाकर्ताओं को संतुष्टि और सुरक्षा देना है।
ओएनजीसी विदेश लिमिटेड को म्यांमार में 12.127 करोड़ डॉलर के अतिरिक्त निवेश को भी मंजूरी मिल गई है।