अर्थव्यवस्था

हरित हाइड्रोजन मिशन के लिए 19,500 करोड़ रुपये की मंजूरी

Published by
श्रेया जय
Last Updated- January 04, 2023 | 11:52 PM IST

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन के लिए 19,500 करोड़ रुपये की शुरुआती पूंजी के प्रस्ताव को आज मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में 75वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में इस योजना की शुरुआत की थी। मिशन में चार इससे होंगे, जिनका उद्देश्य देश में हरित हाइड्रोजन का उत्पादन बढ़ाना और हरित हाइड्रोजन बनाने में उपयोग होने वाले प्रमुख घटक इलेक्ट्रोलाइजर के विनिर्माण को बढ़ावा देना है।

केंद्र ने एक बयान में कहा, ‘मिशन के लिए शुरुआती व्यय में साइट कार्यक्रम के लिए 17,490 करोड़ रुपये, पायलट परियोजनाओं के लिए 1,466 करोड़ रुपये, अनुसंधान एवं विकास के लिए 400 करोड़ रुपये और मिशन के अन्य घटकों के लिए 388 करोड़ रुपये शामिल होंगे। इस योजना का प्रारंभिक लक्ष्य सालाना 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन तैयार करना है।

ह​रित हाइड्रोजन ट्रांजिशन कार्यक्रम या साइट के लिए नीतिगत हस्तक्षेप में इलेक्ट्रोलाइजर के घरेलू विनिर्माण और ​हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए दो वित्तीय प्रोत्साहन प्रणाली शामिल होंगी। मिशन वास्तविक उपयोग वाले उभरते क्षेत्रों और उत्पादन की दिशा में चलाए जाने वाली पायलट परियोजनाओं का भी समर्थन करेगा। हाइड्रोजन के व्यापक उत्पादन या उपयोग का समर्थन करने में सक्षम इलाकों को ‘हरित हाइड्रोजन हब’ के तौर पर चिह्नित और विकसित किया जाएगा।

सरकार ने कहा कि हरित हाइड्रोजन तंत्र की स्थापना का समर्थन करने के लिए एक सक्षम नीतिगत ढांचा विकसित किया जाएगा। बयान में कहा गया है, ‘एक उन्नत मानक और नियमन ढांचा भी विकसित किया जाएगा। इसके अलावा मिशन के तहत सार्वजनिक-निजी साझेदारी की व्यवस्था शोध एवं विकास को बढ़ावा देगी।’

पिछले साल फरवरी में ऊर्जा मंत्रालय ने हरित हाइड्रोजन/अमोनिया नीति को अधिसूचित किया था, जिसके तहत 2030 तक 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करना है। अंतिम मिशन में भी यह लक्ष्य रखा गया है। ऊर्जा मंत्रालय द्वारा तैयार की गई नीति के अनुसार हरित हाइड्रोजन/अमोनिया विनिर्माता हरित ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित कर सकते हैं या इसे एनर्जी एक्सचेंज से खरीद सकते हैं। नीति के तहत अंतर-राज्य पारेषण शुल्क, सुगम पहुंच और पारेषण कनेक्टिविटी सहित कई प्रकार की छूट प्रदान की गई थी। 

नई पीढ़ी की अक्षय ऊर्जा कंपनियों और वाहन विनिर्माताओं सहित ऊर्जा क्षेत्र में रुचि रखने वाले हर प्रमुख कारोबारी समूह ने हरित हाइड्रोजन में निवेश की या इसके उपयोग की योजना का ऐलान किया है। अदाणी एंटरप्राइजेज, रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा समूह, जेएसडब्ल्यू एनर्जी, एलऐंडटी, एसीएमई समूह, रीन्यू पावर तथा कई अन्य ने इस क्षेत्र में अपनी निवेश योजना की घोषणा की है। देश की अग्रणी व्यावसायिक वाहन कंपनी अशोक लीलैंड अपने बेड़े के एक हिस्से को हरित हाइड्रोजन से चलाने के लिए गठजोड़ की संभावना तलाश रही है।

हालांकि यह क्षेत्र सरकारी सहायता की मांग कर रहा है क्योंकि इलेक्ट्रोलाइजर की लागत और हरित हाइड्रोजन के विनिर्माण की कुल लागत काफी ज्यादा होती है। देश में फिलहाल हरित हाइड्रोजन की लागत करीब 5 डॉलर प्रति किलोग्राम पड़ती है।

एसीएमई समूह के मुख्य कार्या​धिकारी रजत सेकसरिया ने कहा, ‘प्रोत्साहन कार्यक्रम भारत की हरित हाइड्रोजन को प्रतिस्पर्धी बनाता है। शुरुआती कुछ परियोजनाओं के लिए जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा हरित हाइड्रोजन हब बनाए जाएं, जिससे आपूर्ति श्रृंखला की स्थापना और व्यापक स्तर पर उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।’

इस मिशन के लिए नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय नोडल विभाग होगा। 50 लाख टन का लक्ष्य पूरा करने के लिए इसे लगभग 125 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता से जोड़े जाने की आवश्यकता होगी। केंद्र को उम्मीद है कि 2030 तक इससे सालाना 5 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन कम करने में मदद मिलेगी।

First Published : January 4, 2023 | 8:01 PM IST