ग्रेटर नोएडा इंटरनैशनल एयरपोर्ट के परिचालन के लिए स्थापित विशेष प्रयोजन कंपनी नोएडा इंटरनैशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (एनआईएएल) अपने पहले चरण की विस्तार परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए करीब 300 करोड़ रुपये जुटाने को भारतीय बैंकों से बातचीत कर रही है। चालू होने पर यह हवाई अड्डा दिल्ली का दूसरा हवाई अड्डा होगा।
ज्यूरिख इंटरनैशनल एयरपोर्ट के ऑपरेटर फ्लगहाफेन ज्यूरिख ने पिछले साल इस हवाई अड्डे के निर्माण के लिए बोली हासिल की थी। इस परियोजना के तहत पहले चरण के कार्यों को 2024 तक पूरा करना होगा जहां सालाना 1.2 करोड़ यात्रियों के संचालन की क्षमता होगी। फ्लगहाफेन ज्यूरिख की नोएडा हवाई अड्डा परियोजना में फिलहाल 100 फीसदी हिस्सेदारी है।
एक वरिष्ठ बैंकिंग सूत्र ने कहा, ‘भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) फिलहाल इस प्रस्ताव का आकलन कर रहा है और उसके नतीजों के आधार पर सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के कई अन्य बैंक इसमें भागीदारी कर सकते हैं।’ हालांकि फिलहाल यह निश्चित नहीं है कि कितने बैंक इस कंसोर्टियम में शामिल होंगे।
हालांकि बुनियादी ढांचा उद्योग ने उम्मीद जताई थी कि एनआईएएल स्विट्जरलैंड से रकम जुटाएगी क्योंकि वहां ब्याज दर और मुद्रा की हेजिंग लागत कम है। एनआईएएल के सीईओ क्रिस्टफ स्नेलमैन ने कहा कि हवाई अड्डे के अधिकांश राजस्व फिलहाल शुरुआती चरण में है और इसलिए शुरुआती चरण के लिए भारतीय मुद्रा में रकम जुटाई जाएगी। कंपनी भारतीय रुपये में रकम जुटा रही है ताकि विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में उतार-चढ़ाव के जोखिम से बचा जा सके।
स्नेलमैन ने कहा, ‘हम संभावित भारतीय बैंकों के साथ लगातार बातचीत कर रहे हैं। इसके अलावा वित्त पोषण सुनिश्चित करने के लिए हम क्रेडिट रेटिंग की प्रक्रिया में भी हैं।’ एनआईएएल ने बुधवार को जेवर हवाई अड्डे का मास्टर प्लान भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) और विमानन नियामक डीजीसीए को तकनीकी जांच के लिए सौंपा। मास्टर प्लान के अनुसार, इस हवाई अड्डे पर भविष्य में पांच रनवे बनाने की योजना है। मास्टर प्लान को मंजूरी मिलने के बाद एनआईएएल इस परियोजना के लिए वित्त पोषण कर सकती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि पहले चरण के लिए स्विट्जरलैंड के बजाय भारतीय बैंकों से रकम जुटाना एनआईएएल का विवेकपूर्ण नजरिया है। अधिकतर यातायात घरेलू होने के कारण राजस्व आय भारतीय रुपये में होना चाहिए। जीएमआर एयरपोट्र्स के पूर्व कार्यकारी निदेशक सिद्धार्थ कपूर ने कहा, ‘शुरुआती चरण के दौरान अधिकतर यातायात घरेलू होगी। शुल्क मुक्त आय भी मामूली होगी। चूंकि विदेशी मुद्रा में आय मामूली होगी, इसलिए भारतीय रुपये में रकम जुटाना उपयुक्त है क्योंकि इससे मुद्रा बाजार के उतार-चढ़ाव से बचा जा सकेगा।’
