भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी Zoho चिप बनाने के क्षेत्र में कदम रखने की योजना बना रही है और इसके लिए वो सरकार से मदद मांग रही है। सूत्रों के मुताबिक, इस योजना पर करीब 700 मिलियन डॉलर (लगभग 55,000 करोड़ रुपये) खर्च किए जा सकते हैं।
Zoho की स्थापना 1996 में हुई थी और इसका हेड ऑफिस तमिलनाडु में है। ये कंपनी कई देशों के बिजनेस को सब्सक्रिप्शन के आधार पर सॉफ्टवेयर और उससे जुड़ी सेवाएं देती है। ये Microsoft और Salesforce जैसी बड़ी कंपनियों की तरह काम करती है।
इस सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए 10 बिलियन डॉलर का पैकेज दे रही सरकार
Zoho भारत में चिप बनाने का कारखाना लगाने वाली पहली कंपनी है जो सरकार से मदद मांग रही है। दरअसल, चिप्स भारत के लिए काफी अहम हैं और सरकार इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 10 बिलियन डॉलर (लगभग 78,000 करोड़ रुपये) का पैकेज दे रही है। कुछ ही सालों में भारत का लक्ष्य चिप बनाने में ताइवान जैसे देशों को टक्कर देना है।
सूत्रों के अनुसार, Zoho खास तरह के चिप्स बनाने की सोच रही है, जिन्हें “कंपाउंड सेमीकंडक्टर्स” कहते हैं। ये आम तौर पर इस्तेमाल होने वाले सिलिकॉन से इतर अलग चीजों से बनते हैं और इनका खास व्यावसायिक इस्तेमाल होता है।
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सरकार के IT मंत्रालय का एक पैनल अभी Zoho के इस प्रपोजल को रिव्यू कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक, मंत्रालय ने Zoho से ये भी पूछा है कि वो किन कंपनियों को ये खास चिप्स बेचना चाहती है।
700 मिलियन डॉलर खर्च कर सकती है Zoho
एक सूत्र ने बताया कि Zoho ने 700 मिलियन डॉलर (लगभग 55,000 करोड़ रुपये) खर्च का अनुमान लगाया है। साथ ही, उन्होंने ये भी बताया कि Zoho ने इस पूरे कारखाने को शुरू करने के लिए एक और टेक्नोलॉजी कंपनी के साथ साझेदारी की है, लेकिन ये नहीं बताया कि वो कौन सी कंपनी है।
गौरतलब है कि मार्च में Zoho के फाउंडर और CEO श्रीधर वेम्बू ने ये बताया था कि वो तमिलनाडु में चिप डिजाइन करने का प्रोजेक्ट शुरू करने वाले हैं, लेकिन उन्होंने इससे ज्यादा जानकारी नहीं दी थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, Zoho ने मार्च 2023 तक खत्म हुए वित्तीय वर्ष में 1 बिलियन डॉलर से ज्यादा का रेवेन्यू कमाया था।
इसके अलावा, फरवरी में भारत सरकार ने टाटा ग्रुप और सीजी पावर जैसी कंपनियों को करीब 15 बिलियन डॉलर (लगभग 1.17 लाख करोड़ रुपये) की लागत से तीन सेमीकंडक्टर कारखाने बनाने की अनुमति दे दी थी। इन कारखानों में डिफेंस, ऑटोमोबाइल और टेलीकॉम जैसे क्षेत्रों के लिए चिप्स बनाने और पैकेजिंग का काम होगा।
भारत का अनुमान है कि साल 2026 तक उसका सेमीकंडक्टर मार्केट 63 बिलियन डॉलर (लगभग 4.9 खरब रुपये) का हो जाएगा।