वर्ष 2019 में सऊदी अरेबियन ऑयल कंपनी (अरामको) दुनिया का सबसे बड़ा आईपीओ लेकर आई थी। सऊदी सरकार ने 1.7 लाख करोड़ रुपये के मूल्यांकन पर कंपनी में महज 1.5 प्रतिशत हिस्सेदारी घटाकर 25.6 अरब डॉलर की पूंजी जुटाई थी। भारत सरकार ने बीमा दिग्गज जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में करीब 65,000 करोड़ रुपये मूल्य में 5 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी घटाने की योजना बनाई है। यहां इस बारे में विस्तार से आंकड़े पेश किए जा रहे हैं कि एलआईसी के आईपीओ को भारत का अरामको क्यों समझा जा रहा है:
निर्गम का बड़ा आकार
प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों से पता चलता है कि करीब 65,000 करोड़ रुपये का आईपीओ आकार 2017 और 2021 को छोड़कर किसी कैलेंडर वर्ष के दौरान जुटाई गई कुल राशि के मुकाबले ज्यादा है। वर्ष 2017 में, 36 आईपीओ के जरिये 67,147 करोड़ रुपये और पिछले साल 63 निर्गमों के जरिये 1.19 लाख करोड़ रुपये जुटाए गए थे।
आईपीओ में बड़ा एफपीआई, डीआईआई, खुदरा निवेश
एलआईसी वर्ष 2021 के सभी आईपीओ में एफपीआई, घरेलू संसथागत निवेशकों (डीआईआई) और खुदरा निवेशकों द्वारा लगाई गई रकम के मुकाबले ज्यादा पूंजी जुटाने की संभावना तलाश रही है।
9.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की इक्विटी होल्डिंग
दिसंबर 2021 के अंत में, सूचीबद्घ कंपनियों में एलआईसी के निवेश की वैल्यू 9.53 लाख करोड़ रुपये पर थी। यूबीएस के अनुसार, एलआईसी सबसे बड़ी घरेलू निवेशक है और सभी डीआईआई निवेश में उसका एक-तिहाई योगदान है।
सरकार की सबसे बड़ी शेयरधारिता
भारतीय जीवन बीमा कंपनी (एलआईसी) की सूचीबद्घता के बाद, बीमा कंपनी की सूचीबद्घ कंपनियों में सरकारी हिस्सेदारी 43 प्रतिशत होगी। मौजूदा समय में सूचीबद्घ पीएसयू का योगदान घटकर 54 प्रतिशत और गैर-पीएसयू में सरकार की हिस्सेदारी घटकर 3 प्रतिशत रह जाएगी।
टॉप-3 क्लब में शामिल
सूचीबद्घता के बाद, बीमा कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज और टाटाा कंसल्टेंंसी सर्विसेज (टीसीएस) के बाद देश में प्रमुख तीन सबसे मूल्यवान शेयरों में शामिल हो जाएगी। बाजार विश्लेषकों का कहना है कि यदि सरकार इस निर्गम का भाव ज्यादा रखती है या यदि एलआईसी का शेयर सूचीबद्घता के बाद तेजी से चढ़ता है तो यह शीर्ष पायदान पर भी पहुंच सकता है।