कोविड संबंधी लॉकडाउन के कारण एक अन्य चुनौतीपूर्ण वर्ष के बावजूद टाटा पावर अपने अच्छे प्रदर्शन को बरकरार रखने में समर्थ है। टाटा पावर के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी प्रवीर सिन्हा ने ज्योति मुकुल और श्रेया जय से बातचीत में कहा कि कंपनी मौजूदा शेयरधारकों के लिए बेहतरीन रिटर्न के आधार पर अक्षय ऊर्जा परिसंपत्तियों को भुनाएगी। पेश हैं मुख्य अंश:
कंपनी अक्षय ऊर्जा की ओर रुख किस प्रकार करेगी?
पिछले साल हमने निर्णय लिया था कि हम कोयला आधारित संयंत्रों में कोई नया निवेश नहीं करेंगे, यहां तक कि अपने प्लेटफॉर्म रीसर्जेंट के जरिये भी नहीं। हम 2050 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन तक पहुंच जाएंगे। ऐसा पहले भी हो सकता है। इसलिए अब हम बिजली खरीद समझौता को जल्द से जल्द पूरा करना चाहते हैं। उसके बाद हम उससे बाहर हो जाएंगे । अब हम सभी कारोबार अक्षय ऊर्जा में करना चाहते हैं जैसे यूटिलिटी स्तर की अक्षय ऊर्जा, रूफ टॉप और सौर पंप आदि। हमारे पास 2,667 मेगावॉट अक्षय ऊर्जा क्षमता है और 1,300 मेगावॉट निर्माण के उन्नत चरण में है। हम इस साल 1,000 मेगावॉट चालू होने की उम्मीद करते हैं और हम चालू करने के उन्नत चरण में हैं। हालांकि कोविड के कारण उसमें कुछ देरी हो सकती है। हम जुलाई तक 500 मेगावॉट क्षमता को चालू कर देंगे। हम 3,700 मेगावॉट क्षमता के साथ चालू वित्त वर्ष को अलविदा करेंगे।
अक्षय ऊर्जा परिसंपत्तियों के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (इनविट) में देरी क्यों हुई? क्या इस कारोबार के लिए आपकी नजर आईपीओ पर है?
इस पर फिलहाल चर्चा चल रही है। हमने अभी कोई निर्णय नहीं लिया है कि उसका ढांचा कैसा होगा। हम शेयरधारकों और कंपनी के हितों को ध्यान में रखते हुए एक दीर्घकालिक निर्णय लेना चाहते हैं। जब हमने शुरुआत की थी तो हमारे सामने ऋण बोझ की एक बड़ी चुनौती थी। दो साल पहले ऋण बनाम इक्विटी अनुपात 2.5 के दायरे में था। हमने ऋण बोझ घटाने का निर्णय लिया और हमारे सामने एक विकल्प यह था कि कुछ अन्य कंपनियों में हमारे निवेश को भुनाया जाए। हमने जहाजरानी और रक्षा कारोबार की बिक्री करने के लिए करार किया। हमने दक्षिण अफ्रीका में अपने पवन ऊर्जा कारोबार को बेच दिया और उसके बाद हमें टाटा संस से तरजीही रकम भी मिली। इससे पता चलता है कि वे हमरी क्षमता को लेकर आवश्वत थे। इन सब से हमें अपना ऋण बोझ घटाने में मदद मिली। हमारा ऋण बोझ करीब 43,000 करोड़ रुपये से घटकर इस साल करीब 35,000 करोड़ रुपये रह गया है। हमें हमारी अक्षय ऊर्जा परिसंपत्तियों के बारे में निर्णय लेने की आवश्यकता है। उसी दौरान हमने अपने यूटिलिटी कारोबार को बढ़ाने के लिए इनविट पर विचार किया था लेकिन अब हम कहीं बेहतर स्थिति में हैं। निवेशकों एवं अन्य विश्लेषकों के साथ चर्चा के दौरान हमें बताया गया है कि हम बेहतर कर सकते हैं।
बिजली वितरण कारोबार के लिए आपकी योजना क्या है?
वितरण कारोबार में 1 अप्रैल, 2020 तक हमारे पास 27 लाख ग्राहक थे। उसके बाद हमने ओडिशा वितरण कारोबार को संभाला। उस राज्य में 90 लाख ग्राहक हैं और अब हमारे पास लगभग 1.2 करोड़ उपभोक्ता हैं जो हमें निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा बिजली वितरक कंपनी बनाते हैं। दूसरे पायदान पर मौजूद कंपनी के पास 50 लाख ग्राहक भी नहीं है। ओडिशा में पिछले 10 महीनों का हमारा अनुभव यह है कि हमारे प्रदर्शन में सुधार हुआ है और इस छोटी अवधि में संचयी तौर पर सभी डिस्कॉम ने लाभ कमाया है। हम इक्विटी पर रिटर्न के मोर्चे पर काफी बेहतर करेंगे लेकिन कुल तकनीकी एवं वाणिज्यिक नुकसान और प्रोत्साहन संग्रह के मोर्चे पर भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे। अब हमारे पास शहरी और ग्रामीण दोनों उपभोक्ता हैं। हमारा पूरा कारोबारी दर्शन अक्षय ऊर्जा पर केंद्रित है।
क्या कंपनी कोई नई रकम जुटाने पर विचार कर रही है? गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (एनसीडी) जारी करने का क्या उद्देश्य है?
यह एनसीडी पिछले एनसीडी के पुनर्भुगतान के लिए है जिसकी लागत काफी अधिक है। हमें 5,500 करोड़ रुपये के एनसीडी के लिए मंजूरी पहले ही मिल चुकी है और इसलिए यह कोई नया एनसीडी नहीं है बल्कि पिछले एनसीडी का समायोजन है। हमारे पास दमदार नकदी प्रवाह है और उसी आधार पर हम पारेषण अथवा वितरण अथवा किसी नए कारोबार में निवेश करेंगे। रकम आंतरिक नकदी प्रवाह और कुछ ऋण के जरिये जुटाई जाएगी।
