हाल तक दिवालिया होने की कगार पर खड़ी वोडाफोन आइडिया ने 17 दूरसंचार सर्किल में 18,800 करोड़ रुपये के 5जी स्पेक्ट्रम खरीदे हैं। लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि यह उसके मौजूदा ग्राहक आधार को बरकरार रखने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। विश्लेषकों का कहना है कि दूरसंचार उद्योग द्विध्रुवीय स्थिति में जा रहा है जहां जियो और भारती एयरटेल अग्रणी कंपनियां होंगी जबकि वोडाफोन आइडिया और सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल ग्राहकों के लिए प्रतिस्पर्धा में पिछड़ सकती हैं।
कोटक इंस्टीट्यूशनल सिक्योरिटीज के एक विश्लेषक ने कहा, ‘वोडाफोन आइडिया की स्थिति आगे भी प्रभावित हो सकती है जब प्रतिस्पर्धी कंपनियां उच्च क्षमता एवं बेहतर कवरेज के साथ 5जी सेवाओं की पेशकश करेंगी।’ वोडाफोन आइडिया के ग्राहकों की कुल संख्या इस साल जून में 25.9 करोड़ थी। वह फिलहाल दूरसंचार राहत पैकेज के तहत सरकारी बकाये के एवज में कंपनी में सरकार द्वारा 33.5 फीसदी हिस्सेदारी लेने का इंतजार कर रही है। वोडाफोन आइडिया में उसके प्रवर्तक ब्रिटेन की कंपनी वोडाफोन पीएलसी और आदित्य बिड़ला समूह की बराबर हिस्सेदारी है।
कंपनी का कहना है कि उसके प्राथमिकता वाले 17 सर्किल में मध्यम बैंड 5जी स्पेक्ट्रम (3,300 मेगाहर्ट्ज बैंड) में 5जी स्पेक्ट्रम और 16 सर्किल में 5जी स्पेक्ट्रम (26 गीगाहर्ट्ज बैंड) से उसे ग्राहकों को बेहतर 5जी अनुभव प्रदान करने और अपने एंटरप्राइज पेशकश को मजबूती देने में मदद मिलेगी। कंपनी ने एक बयान में कहा, ‘हम रियल-वर्ल्ड तैनाती के लिए 5जी उपयोग के मामलों को प्राथमिकता देने और उसे विकसित करने के लिए एंटरप्राइज ग्राहकों एवं भागीदारों के साथ सहयोग जारी रखेंगे। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और पंजाब के तीन सर्किल में अतिरिक्त 4जी स्पेक्ट्रम अधिग्रहण से ग्राहक अनुभव में सुधार होगा। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां हम तीसरे पक्ष की रिपोर्ट के मुताबिक पिछली कई तिमाहियों से अग्रणी रहे हैं।’
विश्लेषकों ने कहा कि स्पेक्ट्रम अधिग्रहण के बाद जियो की स्पेक्ट्रम धारिता भारत में सबसे अधिक 26,772 मेगाहर्ट्ज हो गई है जबकि भारती की स्पेक्ट्रम धारिता 22,000 मेगाहर्ट्ज हो गई है। आईआईएफएल के एक विश्लेषक ने कहा, ‘वोडाफोन आइडिया ने वित्तीय चुनौतियों के बावजूद पर्याप्त मात्रा में 5जी स्पेक्ट्रम हासिल किया है। हम इस साल त्योहारी सीजन के आसपास शुल्क दरों में वृद्धि का एक अन्य दौर देख सकते हैं।’ एक विदेशी ब्रोकरेज फर्म के विश्लेषक ने कहा कि शुल्क दरों में बढ़ोतरी से कंपनी को आवश्यक रकम जुटाने में मदद मिलेगी लेकिन ग्राहक आधार में गिरावट उसके लिए एक प्रमुख चुनौती है।