आर्सेलरमित्तल के हाथ उत्तम गैल्वा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 6:46 AM IST

आर्सेलरमित्तल कर्ज में डूबी उत्तम गैल्वा स्टील्स के लिए एकमात्र बोलीदाता के रूप में उभरी है। चार इस्पात निर्माताओं – आर्सेलरमित्तल के अलावा जेएसडब्ल्यू स्टील, जिंदल स्टील ऐंड पावर (जेएसपीएल) और वेदांत के स्वामित्व वाली ईएसएल स्टील – समेत 6 कंपनियों ने उत्तम गैल्वा के लिए अभिरुचि पत्र (ईओआई) सौंपे थे। इस घटनाक्रम से नजदीकी से जुड़े सूत्रों के अनुसार, लेकिन निर्णायक जांच प्रक्रिया के बाद सिर्फ आर्सेलरमित्तल ही समाधान योजना सौंपने में कामयाब रही।
आर्सेलरमित्तल ने इस घटनाक्रम के बारे में फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
समाधान योजनाएं सौंपने के लिए तारीख दो सप्ताह तक बढ़ाकर 19 मार्च कर दी गई थी। सूत्रों का कहना है कि  समाधान योजना एएम माइनिंग इंडिया द्वारा सौंपी गई थी और बोलीदाता के लिए धारा 29ए की सामान्य जांच के लिए एक कंसल्टेंट नियुक्त किए जाने की संभावना थी।
आईबीसी नियमों के अनुसार, धारा 29ए उन लोगों को प्रतिबंधित करती है जिन्होंने किसी कॉरपोरेट देनदार या संबद्घ पक्ष के डिफॉल्ट में योगदान दिया है। उत्तम गैल्वा की महाराष्ट्र के खोपोली में निर्माण इकाइयां हैं  और वे न्हावा शेवा तथा मुंबई बंदरगाहों के नजदीक हैं, जिससे उसे निर्यात के संबंध में लाभ मिलता रहा है। उसकी 12 लाख टन की कोल्ड रोलिंग क्षमता है जिसमें विस्तार किया जा सकता है।
उत्तम गैल्वा के वित्तीय बकाएदारों की सूची के अनुसार, 16 मार्च तक कुल स्वीकृत दावे 9,230.95 करोड़ रुपये पर थे, जिनमें 70.16 प्रतिशत की वोटिंग भागीदारी के साथ आर्सेलरमित्तल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के दावे 6,476.16 करोड़ रुपये और 15.66 प्रतिशत वोटिंग भागीदारी के साथ एएमएनएस लग्जमबर्ग होल्डिंग्स के दावे 1,445.60 करोड़ रुपये पर थे।
आर्सेलरमित्तल ने एस्सार स्टील की बोली के लिए पात्र बनने के प्रयास में उत्तम गैल्वा का कर्ज लिया था। यदि उत्तम गैल्वा के लिए आर्सेलरमित्तल की समाधान योजना सफल रहती है तो कंपनी के साथ इसका संबंध मजबूत होगा।
आर्सेलरमित्तल ने मिगलानी परिवार के सह-प्रवर्तन समझौता किया था और 2009 में उत्तम गैल्वा में 32 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल की थी। काफी विलंब की वजह से झारखंड में 1.2 करोड़ टन की परियोजना लगाने की उसकी योजना ठंडे बस्ते में चली गई। हालांकि उत्तम गैल्वा में हिस्सेदारी हासिल होने से वैश्विक इस्पात दिग्गज को भारतीय बाजार में पैठ बनाने में मदद मिली।
इस्पात दिग्गज के प्रवेश का लाभ हासिल करने के लिए आईबीसी ने अवसर प्रदान किया और फिर आर्सेलरमित्तल ने 2018 में एस्सार स्टील (अब एएम/एनएस इंडिया) के लिए बोली सौंपी थी। बोली सौंपने से पहले हालांकि आर्सेलरमित्तल ने पात्र बनने के लिए उत्तम गैल्वा में अपनी हिस्सेदारी प्रवर्तकों को 1 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से बेच दी।
इस प्रयास को धारा 29ए से बढ़ावा मिला, जिसने एक डिफॉल्ट कंपनी के प्रवर्तक को आईबीसी के तहत परिसंपत्तियों के लिए बोलियों से रोक दिया था और उत्तम गैल्वा को बैंकों द्वारा एक साल तक के लिए एनपीए की श्रेणी में रखा गया था और यह कंपनी आईबीसी के तहत समाधान के लिए आरबीआई की दूसरी एनपीए सूची में शामिल थी।

First Published : March 22, 2021 | 11:23 PM IST