आर्थिक मंदी के चलते वित्त वर्ष 2009-10 के दौरान देश के कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह की वृद्धि दर काफी कम (महज 5-7 फीसदी) रहने का अनुमान है।
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। यही नहीं, इस लक्ष्य को भी पाने के लिए राजस्व विभाग ने कई योजनाएं बनाई हैं। इनमें स्रोत पर मिलने वाली कर छूट (टीडीएस) को सख्त बनाने के साथ आयकर रिटर्न की जांच प्रक्रिया बढ़ाना शामिल है।
अधिकारी के मुताबिक, ”आर्थिक मंदी के चलते इस साल प्रत्यक्ष कर संग्रह में ज्यादा बढ़ोतरी की गुंजाइश नहीं है। हालांकि, पिछले साल की तरह इस साल भी जांच-पड़ताल की प्रक्रिया सख्त करने से 3.60 लाख करोड़ रुपये की वसूली का लक्ष्य पा लिया जाएगा।”
अब बदली हुई परिस्थिति में राजस्व विभाग को अंतरिम बजट में तय लक्ष्य से करीब 20,000 करोड़ रुपये की कम वसूली होने का अनुमान है। आमदनी बढ़ाने के लिए राजस्व विभाग ने प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन पर अपना ध्यान बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
राजस्व विभाग के एक अन्य अधिकारी के मुताबिक, बहुत पहले से यह बात नोटिस की जाती रही है कि पंजीकृत संपत्ति पर भी कर अदा नहीं किया जाता है। इसलिए संपत्ति की खरीद-बिक्री से वसूली बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला लिया गया है।
आयकर विभाग के अधिकारियों ने स्थानीय प्रशासन से संपत्ति के लेनदेन को चिह्नित करने को कहा है। साथ ही यह पता करने को कहा है कि इन लेनदेन पर कर अदायगी हुई है या नहीं। हालांकि इस कोशिश से कितना अतिरिक्त राजस्व संग्रह हो पाएगा, इसका कोई आंकड़ा नहीं दिया गया है।
भूमि अधिग्रहण पर ध्यान केंद्रित करके आमदनी बढ़ाने पर भी विभाग की नजर है। विभाग ने पाया कि अधिग्रहण के कई मामलों में भी कर की अदायगी नहीं की गई। राजस्व विभाग ने यह भी पाया कि कई बिल्डर धारा 80-आईबी का दुरुपयोग कर रहे हैं। इसके तहत गरीबों के लिए घर बनाने पर कर में छूट दी जाती है। कई संस्थान इस प्रावधान का दुरुपयोग करते रहे हैं।
राजस्व विभाग इस दुरुपयोग पर रोक लगाकर आमदनी बढ़ाने की जुगत लगा रही है। वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान बेहतर परिणाम देने वाले उपायों को आयकर विभाग ने आगे भी जारी रखने का फैसला किया है।
