सिंगापुर इंटरनैशनल आर्बिट्रेशन सेंटर में एक महत्त्वपूर्ण कानूनी लड़ाई हारने के बाद फ्यूचर समूह को दिल्ली उच्च न्यायालय में कठिन कानूनी लड़ाई लडऩी पड़ेगी। फ्यूचर समूह ने दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है और उसने अपने पूर्व साझेदार एमेजॉन इंक द्वारा दायर यदि कोई याचिका हो तो उस पर सुनवाई किए जाने की मांग की है। एमेजॉन ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के साथ उसके संपूर्ण खुदरा एवं लॉजिस्टिक कारोबार की बिक्री सौदे पर आपत्ति जताई है।
सिंगापुर की मध्यस्थता अदालत के समक्ष दी गई अपनी दलील में फ्यूचर समूह ने कहा था कि आरआईएल के साथ लेनदेन होने के बाद एमेजॉन के पास इसका विरोध करने का कोई वैध अधिकार नहीं है। उसने कहा था कि घोड़े को कस दिया गया है। मध्यस्थता पैनल ने 25 अक्टूबर को जारी अपने आदेश में कहा, ‘यह गलत है। घोड़े को कसा नहीं गया है। भले ही फ्यूचर ने îदरवाजा खोल दिया हो। लेकिन यह स्पष्ट है कि फ्यूचर समूह एमेजॉन के साथ अनियंत्रित घोड़े को स्थिर करने के लिए काम करने के लिए अनुबंधित है।’ कॉरपोरेट वकीलों ने कहा कि भारतीय अदालतें आमतौर पर विदेशी मध्यस्थता अदालतों द्वारा दिए गए आदेशों को मानती हैं जैसा पिछले कई मामलों में देखा गया है। टाटा संस बनाम एनटीटी डोकोमो के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने टाटा समूह को लंदन कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन के आदेशों का पालन करने का आदेश दिया था जिसने डोकोमो के पक्ष में फैसला सुनाया था। एक कॉरपोरेट वकील ने कहा, ‘भारत में फ्यूचर समूह के मामले में भी वैसा ही होगा।’
एमेजॉन को राहत देते हुए सिंगापुर की मध्यस्थता अदालत ने कहा कि राहत देने में जितनी देरी होगी, एमेजॉन के लिए पूर्वाग्रह उतना ही बढ़ेगा। सिंगापुर की अदालत ने कहा यह स्पष्ट है कि निकट भविष्य में किसी समय एमेजॉन के अधिकार को बहाल करना असंभव हो जाएगा। अदालत ने फ्यूचर समूह से कहा कि वह आरआईएल लेनदेन के संबंध में फिलहाल कोई कदम न उठाए। आरआईएल ने 24,700 करोड़ रुपये के एक सौदे के तहत फ्यूचर समूह के खुदरा एवं लॉजिस्टिक कारोबार के अधिग्रहण के लिए सहमति जताई थी।
न्यायालयों में वादी द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए एक याचिका दायर की जाती है कि उसके पक्ष की सुनवाई के बिना कोई प्रतिकूल आदेश न सुनाया जाए। कैविएट याचिका की एक प्रति पहले ही एमेजॉन को दी जा चुकी है।
एमेजॉन इंक फ्यूचर और आरआईएल के बीच हुए सौदे का विरोध कर रही है क्योंकि फ्यूचर कूपन लिमिटेड में उसकी लगभग 5 फीसदी हिस्सेदारी है। इसके जरिये फ्यूचर समूह की सबसे बड़ी कंपनी फ्यूचर रिटेल में उसकी हिस्सेदारी थी। एमेजॉन के पास फ्यूचर रिटेल लिमिटेड में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का भी विकल्प था। सरकार द्वारा खुदरा क्षेत्र के लिए एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) नियमों में ढील दिए जाने पर वह अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकती थी। एमेजॉन ने फ्यूचर रिटेल लिमिटेड के पुनर्गठन पर विचार करने के लिए किसी बैठक में उपस्थित होने का दावा किया है और कहा है कि फ्यूचर रिटेल लिमिटेड की मुख्य संपत्ति की बिक्री के लिए उसकी सहमति के बिना समझौता नहीं किया जा सकता है। एमेजॉन की उनके साथ काम करने की इच्छा के बावजूद फ्यूचर समूह ने रिलायंस के साथ यह सौदा किया है। मध्यस्थता अदालत ने कहा कि फ्यूचर समूह ने एमेजॉन के लिए अपने दायित्वों की अवहेलना की है।
