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Telecom bill: बिल में ‘ताकतवर’ नियामक के लिए जगह बनाएगा दूरसंचार विभाग

सितंबर 2022 के दूरसंचार विधेयक को अंतिम रूप दे रहा दूरसंचार विभाग

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सुरजीत दास गुप्ता   
Last Updated- June 18, 2023 | 10:41 PM IST

दूरसंचार विभाग (Telecom Department) सितंबर 2022 के दूरसंचार विधेयक के मसौदे में प्रस्तावित दूरसंचार नियामक (TRAI) अधिनियम के सभी संशोधनों को समाप्त करने वाला है क्योंकि विधेयक को मूर्त रूप दे रहा है।

प्रस्तावित परिवर्तन नियामक के साथ दूरसंचार और प्रसारण कंपनियों के भी निशाने पर आ गए थे। इन्होंने कहा था कि यह नियामक, दूरसंचार विभाग और प्रसारण कंपनियों के बीच शक्ति के संतुलन को कम कर देगा। माना जा रहा है कि ट्राई ने इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय का रुख किया है।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘हां, हमने दूरसंचार विधेयक के माध्यम से ट्राई अधिनियम में सुझाए गए परिवर्तनों को खत्म करने का प्रस्ताव दिया है।’

अधिकारी ने यह भी कहा कि इसका उद्देश्य नियामक को अधिक शक्तियां प्रदान करना है और इसके लिए संशोधित ट्राई अधिनियम के तहत कुछ वर्षों (2-3 साल) की जरूरत होगी। सूत्रों ने कहा कि यह अमेरिकी संघीय कमीशन की तरह ही हो सकता है, जिसके पास इस क्षेत्र को नियंत्रित करने के लिए व्यापक शक्तियां हैं।

दूरसंचार विभाग द्वारा प्रस्तावित अन्य परिवर्तनों में प्रसारण सेवाओं को शामिल करने के लिए दूरसंचार सेवाओं की परिभाषा को व्यापक बनाना है।

सरकार सभी हितधारकों के बीच भ्रम को कम करने के लिए विधेयक से प्रसारण सेवाओं की परिभाषा को पूरी से हटाने की योजना बना
रही है।

सरकारी सूत्रों ने यह भी बताया कि भारत के बाहर किए गए अपराधों और उल्लंघनों को शामिल करने के लिए विधेयक के प्रावधानों का विस्तार करने पर सरकार विचार कर रही है। साथ ही साइबर सुरक्षा के लिए अलग प्रावधान जोड़ने का विचार किया जा रहा है, जिसके तहत सरकार दूरसंचार नेटवर्क और दूरसंचार सेवाओं की साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने का उपाय कर सकती है। पिछले साल सितंबर में जारी की गई विधेयक को व्यापक रूप से सार्वजनिक परामर्श के लिए रखा गया था। अब यह अंतिम चरण में है।

दूरसंचार विधेयक में प्रसारण सेवाओं की भी पहचान की गई है। इसमें डायरेक्ट टू होम (डी2एच), सामुदायिक रेडियो स्टेशन, इंटरनेट टीवी, टीवी चैनलों के डाउनलिकिंग और अपलिकिंग को शामिल करने के लिए लाइसेंस जरूरी होता है।

डी2एच सेवाओं ने विरोध किया था कि वे पहले से ही सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा 1995 के केबल अधिनियम के तहत आते हैं और इसके साथ वे पंजीकृत भी हैं। विधेयक से उन पर दोहरा नियंत्रण हो जाएगा।

First Published : June 18, 2023 | 10:41 PM IST