देश की प्रमुख वाहन विनिर्माता कंपनी टाटा मोटर्स अब इलेक्ट्रिक वाहनों पर ज्यादा ध्यान देने की योजना बनाई है। कंपनी ने कहा कि वह देश में ई-वाहनों के रुझान में तेजी लाना चाहती है, जिसके लिए कंपनी के कुल यात्री वाहनों की बिक्री में एक-चौथी हिस्सा इलेक्ट्रिक वाहनों की होगी। वर्तमान में कंपनी के कुल यात्री वाहनों की बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी महज 2 फीसदी है। टाटा मोटर्स की सालाना आम बैठक (एजीएम) में कंपनी के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा कि टाटा मोटर्स जल्द ही अपने इलेक्ट्रिक वाहन कारोबार के समर्थन के लिए पूंजी जुटाने की योजना की घोषणा करेगी।
चंद्रशेखरन ने कहा, ‘ई-वाहनों के लिए टाटा मोटर्स ने बेहद महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। हमारी योजना है कि मध्यम से दीर्घावधि में कंपनी के कुल यात्री वाहनों की बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी कम से कम 25 फीसदी हो। हम 2025 तक 10 नए इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में उतारेंगे। इसके लिए कंपनी उचित समय पर पूंजी भी जुटाएगी। टाटा मोटर्स ई-वाहनों के लिए बैटरी संयंत्र भी स्थापित करने की संभावना तलाश रही है।’ई-वाहनों को बढ़ावा देने की योजना के तहत कंपनी चालू वित्त वर्ष में ई-टिगोर को प्रीमियम रेंज में उतारेगी। कंपनी आम लोगों के लिए ई-वाहन को ज्यादा किफायती बनाने पर भी विचार कर रही है। अधिकांश कंपनियां अभी प्रीमियम सेगमेंट पर ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि कंपनी की टाटा पावर के साथ मिलकर आने वाले वर्षों में देश के 25 शहरों में 10,000 चार्जिंग स्टेशन लगाने की भी योजना है। उन्होंने शेयरधारकों से कहा कि कंपनी हाइड्रोजन ईंधन सेल प्रौद्योगिकी पर भी काम कर रही है। कंपनी के पास 7 हाइड्रोजन बसें तैयार हैं और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन से कंपनी को इस तरह की 15 बसों का पहला ऑर्डर मिला है।
चंद्रशेखरन ने कहा, ‘यात्री वाहन के अंतर्गत खास तौर पर इलेक्ट्रिक वाहन कारोबार का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा है। हम इस सेगमेंट में बाजार की अगुआ हैं। घरेलू ई-वाहन बाजार में कंपनी का हिस्सा 71.4 फीसदी है। पिछले वर्ष बाजार में उतारने के बाद से कंपनी 4,000 से अधिक नेक्सन ई-वाहन बेच चुकी है। हमारे कुल यात्री वाहनों की बिक्री में ई-वाहनों की हिस्सेदारी दोगुनी होकर 2 फीसदी हो गई है।’ हालांकि कुल यात्री वाहनों की बिक्री 69 फीसदी बढ़ी है जबकि वाहन उद्योग की कुल बिक्री में करीब 2 फीसदी की गिरावट आई है। एजीएम में कई शेयरधारकों ने लाभांश भुगतान नहीं होने, कर्ज बढऩे और जगुआर लैंडरोवर के कारण कंपनी को भारी घाटे पर चिंता जताई।