टाटा कैपिटल पहली बार विदेश से रकम जुटाने पर विचार कर रही है और उसे उम्मीद है कि अगले वित्त वर्ष में वह ऑफशोर बॉन्ड या कर्ज के जरिये 75 करोड़ डॉलर जुटा लेगी। कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।
कंपनी के मुख्य वित्त अधिकारी राकेश भाटिया ने कहा कि अपने देनदारी के आधार को विशाखित करते हुए कंपनी वित्त वर्ष 25 में विदेशी कर्ज या बॉन्ड के जरिये 75 करोड़ डॉलर जुटाने की संभावना तलाश सकती है। कंपनी मार्च के आखिर तक इसके लिए रोडशो शुरू कर सकती है। विदेशी उधारी के तहत हम डॉलर बॉन्ड पर विचार कर सकते हैं क्योंकि भारतीय कंपनियों में विदेशी निवेशकों की खासी दिलचस्पी है।
भारतीय कंपनी जगत की तरफ से डॉलर बॉन्ड के जरिये जुटाई गई रकम 2023 में 14 साल के निचले स्तर 4.1 अरब डॉलर पर आ गई क्योंकि फेड की ब्याज बढ़ोतरी ने अमेरिकी प्रतिफल में इजाफा कर दिया। लेकिन हाल के महीनों में इसमें सुधार हुआ है।
भारतीय स्टेट बैंक, एचडीएफसी बैंक और श्रीराम हाउसिंग फाइनैंस ने 2024 के पहले दो महीने में डॉलर बॉन्ड के जरिये 2.1 अरब डॉलर जुटाए हैं।
इंडिया रेटिंग्स में निदेशक सौम्यजित नियोगी ने कहा कि भारतीय कंपनियां रकम जुटाने के लिए लगातार विदेशी बाजार पहुंच रही हैं क्योंकि अमेरिकी बॉन्ड का प्रतिफल नरम हुआ है और दरों में कटौती की उम्मीद बढ़ी है। टाटा कैपिटल ने अभी उधारी की मात्रा और अवधि पर अंतिम फैसला नहीं लिया है, लेकिन हाल में उसे एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स व फिच रेटिंग्स से पहली बार बीबीबी रेटिंग मिली है।
टाटा समूह की कंपनी की लोनबुक 1.5 लाख करोड़ रुपये की है, जिसे कंपनी वित्त वर्ष 25 में 25 फीसदी से ज्यादा बढ़ाना चाहती है और उधारी की जरूरतों में भी इतनी ही बढ़ोतरी देख रही है।