फरवरी में होगी स्पेक्ट्रम की नीलामी, अ​धिकारियों को कम राजस्व मिलने की उम्मीद

अधिकारियों को कम बैंड 600-2300 मेगाहर्ट्ज, मध्यम (3300 मेगाहर्ट्ज) और उच्च बैंड 26 गीगा हर्ट्ज के नीलामी का आरक्षित मूल्य 2022 की नीलामी की तरह रहने का अनुमान है।

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शुभायन चक्रवर्ती   
Last Updated- December 07, 2023 | 10:51 AM IST

स्पेक्ट्रम की अगली नीलामी फरवरी, 2024 के अंत में होगी। इसमें ज्यादातर बैंड्स का आरक्षित मूल्य 2022 की नीलामी के बराबर रहेगा। सरकार को उम्मीद है कि ऑपरेटर कम बैंड 600 मेगाहर्ट्ज के लिए जाएंगे। दूरसंचार विभाग के अधिकारियों के मुताबिक कम मेगाहर्ट्ज के कई लाइसेंस की अवधि समाप्त होने वाली है। सरकार ने सितंबर, 2021 में फैसला किया था कि स्पेक्ट्रम की नीलामी सालाना होगी। अधिकारियों के अनुसार इस फैसले को लागू करने के प्रयास जारी हैं।

अधिकारियों को कम बैंड 600-2300 मेगाहर्ट्ज, मध्यम (3300 मेगाहर्ट्ज) और उच्च बैंड 26 गीगा हर्ट्ज के नीलामी का आरक्षित मूल्य 2022 की नीलामी की तरह रहने का अनुमान है। इसके बारे में भारतीय दूरसंचार नियामक (ट्राई) ने पहले ही सुझाव दे दिया था। ट्राई ने नए बैंड्स जैसे 37 गीगा हर्ट्ज के लिए मूल्य का कोई सुझाव नहीं दिया है।

हालांकि अनुमान यह है कि 5जी के ज्यादातर ऑपरेटर जैसे जियो और एयरटेल पहले ही अपनी जरूरत के अनुरूप एयरवेज हासिल कर चुके हैं। इसलिए इस नीलामी से ज्यादा राजस्व अर्जित होने की उम्मीद नहीं है।

अपेक्षाकृत कम आमदनी

भारती एयरटेल के प्रबंध निदेशक व सीईओ गोपाल विट्ठल ने कहा कि कंपनी अतिरिक्त एयरवेज हासिल कर चुकी है। इसलिए कंपनी आगामी नीलामी पर अपेक्षाकृत कम राशि खर्च करेगी। इसलिए महंगे 700 मेगाहर्ट्ज की नीलामी को छोड़ देने का भी अनुमान है।

बीती नीलामी में रिलायंस जियो ने नीलामी में इस मेगाहर्ट्ज को हासिल किया था। इसकी जगह कंपनी कई सर्कलों में अपने स्पेक्ट्रम को फिर से प्राप्त करेगी। इनमें 5जी सेवाओं के मिड ब्रांड एयरवेज जैसे 1800 मेगाहर्ट्ज और 2100 मेगाहर्ट्ज हैं।

तरह रिलायंस जियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि कंपनी पहले की तरह ही रणनीति अपनाएगी। कंपनी को बड़े पैमाने पर स्पेक्ट्रम की जरूरत नहीं है। कंपनी ने 5 जी के लिए 24,740 मेगाहर्ट्ज को 88,000 करोड़ रुपये में प्राप्त किया था।

सरकार ने 1 अगस्त, 2022 को हुई अंतिम नीलामी में 5 जी स्पेक्ट्रम के लिए 72,908 मेगाहर्ट्ज की नीलामी की थी। इसकी बदौलत उच्च गति की मोबाइल इंटरनेट सेवा दी जा सकती है और यह नीलामी 20 वर्ष की दीर्घावधि के लिए हुई थी। इसमें से 71 फीसदी 51,236 मेगाहर्ट्ज की नीलामी से कुल 1,50,173 करोड़ रुपये जुटाए गए थे। यह राशि 2021 में 4 जी की नीलामी से जुटाए गए 77,817 करोड़ रुपये से करीब दो गुनी और 2010 में 3 जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से जुटाए गए 50,968.37 करोड़ से तीन गुनी थी।

वोडाफोन आइडिया और अडाणी डेटा नेटवर्क ने बीते सप्ताह बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया था कि अन्य दूरसंचार कंपनियों को शीघ्र कदम उठाना चाहिए। इन दोनों ने 2022 में हुई पिछली नीलामी में 5जी एयरवेव्स को खरीद लिया था लेकिन अभी तक 5 जी सेवाओं को शुरू नहीं किया है।

पिछली नीलामी में सभी दूरसंचार कंपनियों ने 26गीगाहर्ट्ज बैंड में खासी रुचि दिखाई थी। इस बैंड की उपयोगिता अत्यधिक थी। उद्योग के जानकारों के मुताबिक बीती नीलामी में जियो ने जोरदार ढंग से बोली लगाई थी। इस नीलामी में एयरटेल आक्रामक नीलामी का रुख अपना सकती है।

First Published : December 6, 2023 | 10:08 PM IST