सिंगापुर इंटरनैशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (एसआईएसी) ने जापान की दिग्गज कंपनी सोनी द्वारा ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज के खिलाफ असफल विलय के संबंध में दायर आपातकालीन मध्यस्थता याचिका को क्षेत्राधिकार सीमित होने का हवाला देते हुए आज खारिज कर दिया। इस घटनाक्रम से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े एक सूत्र ने यह जानकारी दी।
सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया ने अपना विलय रद्द करने के बाद ज़ी एंटरटेनमेंट के खिलाफ याचिका दायर की थी। विलय के बाद नई इकाई सामान्य मनोरंजन चैनलों के बीच 25 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ 10 अरब डॉलर की प्रमुख कंपनी बन जाती। ज़ी के प्रवक्ता ने इस पर टिप्पणी से इनकार कर दिया जबकि सोनी पिक्चर्स नेटवर्क ने भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं दिया।
ज़ी और सोनी के बीच मुकदमेबाजी तब शुरू हुई जब सोनी ने ज़ी से सौदा खत्म करने के शुल्क के रूप में नौ करोड़ डॉलर की मांग करते हुए कहा कि ज़ी ने विलय समझौते में निर्धारित कई पूर्व-शर्तों का पालन नहीं किया। ज़ी ने सोनी के आरोपों का खंडन किया और जवाब में जापानी फर्म के खिलाफ एसआईएसी में दावा कर दिया।
इसके साथ ही ज़ी की एक शेयरधारक ने मुंबई में राष्ट्रीय कंपनी कानून पंचाट (एनसीएलटी) में भी एक मुकदमा शुरू कर दिया। एनसीएलटी ने ज़ी और सोनी दोनों को अपना जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है। मामले की सुनवाई अगले महीने होगी।
जापानी कंपनी सोनी पिक्चर्स ने एसआईएसी में अपना मामला पेश करने के लिए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे की सेवाएं ली थीं जबकि ज़ी ने भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी को नियुक्त किया था।
रॉयटर्स की पहले की एक खबर में कहा गया है कि सोनी द्वारा ज़ी को दिए गए नोटिस में आरोप लगाया गया है कि भारतीय कंपनी ने नकदी उपलब्धता से संबंधित विशिष्ट वित्तीय सीमाओं को पूरा करने के लिए व्यावसायिक रूप से उचित प्रयास नहीं किए हैं। सोनी के अनुसार 30 सितंबर तक 476 करोड़ रुपये की ज़ी की नकदी की स्थिति विलय समझौते की जरूरतों से काफी कम थी।