चंद महीने पहले ही सत्यम घोटाले की शक्ल में सामने आए देश के सबसे बड़े कॉर्पोरेट फर्जीवाड़े और कमजोर नतीजे कंपनियों को कई तरह से प्रभावित कर रहे हैं।
इन दोनों कारणों की वजह से बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में लगातार कारोबार करने वाली आधी से ज्यादा कंपनियां चौथी तिमाही के बिना ऑडिट किए नतीजे घोषित करने से कतरा रही हैं। इसकी बजाय ये कंपनियां अपने ऑडिट किए नतीजे जून के अंत तक घोषित करने जा रही हैं।
बीएसई में तकरीबन 2800 कंपनियां लगातार कारोबार में लगी है। इनमें से लगभग 1418 कंपनियां इस महीने चौथी तिमाही के अपने बिना ऑडिट किए हुए नतीजे घोषित नहीं करने का मन बना चुकी हैं। पिछले साल यह आंकड़ा महज 874 कंपनियों तक ही सिकुड़ा हुआ था।
इस लिहाज से इस साल ऐसा करने वाली कंपनियों के आंकड़े में 62 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। टाटा मोटर्स, हिंडाल्को, नैशनल एल्युमिनियम कंपनी (नाल्को), ग्रासिम कुछ ऐसी बड़ी कंपनियां हैं जो ऐसा करने जा रही हैं। ये कंपनियां जून तक अपने ऑडिट किए हुए नतीेजे घोषित करेंगी।
प्राइस वाटरहाउस में पार्टनर कौशिक दत्ता कहते हैं, ‘इस समय ऑडिटर्स कुछ ज्यादा ही सतर्कहैं और वह आंकड़ों को बारीकी से देख रहे हैं। इसके अलावा कंपनियों के बोर्ड और ऑडिट समितियां कुछ अतिरिक्त सतर्कता बरत रही हैं।’
दरअसल यह सारी कवायद सत्यम जैसे मामले को न दोहराने के लिए हो रही है। गौरतलब है कि 6 जनवरी 2009 को उस वक्त तक देश की चौथी सबसे बड़ी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज के संस्थापक अध्यक्ष बी रामलिंग राजू ने फर्जीवाड़े की स्वीकारोक्ति करके पूरे कारोबार जगत में सनसनी फैला दी थी। सत्यम का ऑडिट करने वाले प्राइस वाटरहाउस के ऑडिटरों की भी भूमिका थी, जो कई सालों से कंपनी का फर्जी ऑडिट कर रहे थे।
बैठा हुआ है डर
बीएसई की आधी से ज्यादा कंपनियों ने नहीं बताए तिमाही नतीजे
ऑडिट के बगैर नतीजों के ऐलान के लिए तैयार नहीं
सत्यम से सबक, कोई दिक्कत न हो, इसलिए नतीजे देंगी जून तक
