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सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने दिवालिया हुई देवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन (DHFL) से कथित फंड डाइवर्जन मामले में प्रमोटर कपिल वाधवान और धीरज वाधवान को सिक्योरिटीज मार्केट में पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है।
सेबी ने इन दोनों को किसी भी लिस्टेड कंपनी में कोई भी अहम पद संभालने से भी रोक दिया है।
राकेश वाधवान और सारंग वाधवान पर चार-चार साल का प्रतिबंध लगाया गया है। वहीं, पूर्व सीईओ और जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर हर्षिल मेहता तथा पूर्व सीएफओ संतोष शर्मा को तीन-तीन साल के लिए बैन किया गया है।
सेबी ने सभी पर कुल 120 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है, जिसमें कपिल और धीरज को 27-27 करोड़ का सबसे बड़ा जुर्माना दिया गया है।
रेग्युलेटर का आरोप है कि DHFL ने एक धोखाधड़ी योजना के तहत 87 “बांद्रा बुक एंटिटीज” (BBEs) को लोन दिए, जो एक-दूसरे और DHFL प्रमोटर ग्रुप से जुड़ी थीं।
सेबी ने बताया कि इन 39 BBEs को DHFL से 5,662.44 करोड़ रुपये मिले, जिनमें से 40 प्रतिशत राशि 48 कंपनियों को ट्रांसफर की गई, जो DHFL प्रमोटर्स से जुड़ी थीं। मार्च 2019 तक BBEs पर कुल 14,040 करोड़ रुपये का लोन बकाया था।
रेग्युलेटर ने कहा कि कमजोर वित्तीय स्थिति वाले संबंधित पक्षों को दिए गए ये बड़े अनसिक्योर्ड लोन “रिटेल हाउसिंग लोन” के रूप में गलत तरीके से दिखाए गए।
सेबी के होल टाइम सदस्य अनंत नारायण ने कहा, “BBE लोन की छिपी हुई प्रकृति ने रेग्युलेटरी कार्रवाई में देरी की और बाजार की स्थिरता को खतरे में डाल दिया।”
सेबी ने आगे कहा कि यदि DHFL ने सही वित्तीय विवरण प्रस्तुत किए होते और BBEs को दिए गए लोन से फर्जी ब्याज आय को हटाया होता, तो कंपनी वित्तीय वर्षों 2007-08 से 2015-16 तक लगातार नुकसान में होती, लेकिन उसने मुनाफा दिखाया।
धोखे को अंजाम देने के लिए DHFL ने एक नकली वर्चुअल शाखा (“बांद्रा ब्रांच”) और पहले बंद हुए रिटेल लोन अकाउंट्स का इस्तेमाल किया, साथ ही तीन अलग-अलग अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर से BBEs के लोन को रिटेल लोन के रूप में छुपाया। शुरूआती सालों में DHFL के कुल लोन का 30 प्रतिशत से अधिक हिस्सा BBEs को था।
सेबी ने कहा कि गलत वित्तीय जानकारी ने निवेशकों को धोखा दिया और शेयर कीमत की सच्चाई को प्रभावित किया, जिससे निवेशक यह सोचकर निवेश बनाए रखे कि DHFL की स्थिति ठीक है।
इस मामले में सेबी ने सितंबर 2020 में एक अंतरिम आदेश जारी कर शुरुआती रोक लगा दी थी। सेबी अब इस धोखाधड़ी से हुई गैरकानूनी लाभ की राशि तय करेगा और आगे कार्रवाई कर सकता है।