मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में कमजोर मांग के साथ साथ अस्थिर कीमतों का धातु कंपनियों की आय पर दबाव पड़ने की आशंका है।
ब्लूमबर्ग के अनुमानों में कहा गया है कि तीसरी तिमाही में इस क्षेत्र की कंपनियों की शुद्ध बिक्री वृद्धि सालाना आधार पर सपाट रहेगी, जबकि मुनाफे में एक साल पहले के मुकाबले 60.4 प्रतिशत तक की गिरावट आएगी। एक साल पहले की तुलना में एबिटा में करीब 42.1 प्रतिशत तक की कमजोरी आने का अनुमान है।
ब्लूमबर्ग का आंकड़ा शीर्ष-10 धातु कंपनियों पर आधारित है, जिनमें टाटा स्टील, हिंडाल्को, जेएसडब्ल्यू स्टील, वेदांत और हिंदुस्तान जिंक मुख्य रूप से शामिल हैं।
इस क्षेत्र के विश्लेषकों का कहना है कि जहां इस्पात निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कोकिंग कोयले की कीमत तीसरी तिमाही में करीब 31 प्रतिशत गिरकर 205 डॉलर प्रति टन रह गई, वहीं लौह अयस्क के दाम समीक्षाधीन तिमाही में 26 प्रतिशत तक नीचे आए। मुंबई स्थित ब्रोकरेज सेंट्रम ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि जिंसों के इस मिश्रित रुझान से आय कमजोर बनी रहेगी।
सिस्टमैटिक्स इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषकों राहुल जैन और श्वेता दीक्षित ने अपनी 14 जनवरी की रिपोर्ट में कहा, ‘प्रमुख इस्पात उत्पादकों द्वारा तीसरी तिमाही में मुनाफे में सालाना आधार पर बड़ी गिरावट दर्ज किए जाने का अनुमान है। मार्जिन पर प्रभाव मुख्य तौर पर कमजोर इस्पात कीमतों और सुस्त निर्यात की वजह से पड़ेगा। इस्पात निर्यात पर 15 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगने से मूल्य निर्धारण दबाव बढ़ा है, इन्वेंट्री में इजाफा हुआ है, और कार्यशील पूंजी बढ़ी है।’
इस्पात निर्यात शुल्क नवंबर के अंत से समाप्त कर दिया गया है और लौह अयस्क के लिए इसे 50 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत किया गया है। जैन और दीक्षित का कहना है कि इससे आगामी तिमाहियों में निर्यात और नकदी सृजन में मदद मिलेगी।
दूसरी तरफ, लंबे लॉकडाउन के बाद चीनी बाजार में हालात अब सामान्य होने की वजह से एल्युमीनियम, जस्ता, तांबा, निकल और सीसा जैसी प्रमुख धातुओं की कीमतें तीसरी तिमाही में 8-36 प्रतिशत तक चढ़ी गई हैं।
इलारा कैपिटल के विश्लेषकों रवि सोडा और सौरभ मित्रा ने कहा है कि व्यापक स्तर पर, धारणा कमजोर बनी हुई है, क्योंकि वैश्विक मंदी से जुड़ी चिंताओं से मांग और अलौह धातुओं की कीमतों पर लगातार दबाव पड़ रहा है।
टाटा स्टील के लिए शुद्ध बिक्री सालाना आधार पर करीब 6 प्रतिशत कमजोर रहने, जबकि शुद्ध लाभ एक साल पहले की तुलना में 80 प्रतिशत घटने का अनुमान है।
ब्लूमबर्ग के आंकड़े के अनुसार, दूसरी तरफ, आदित्य बिड़ला समूह की प्रमुख कंपनी हिंडाल्को अपनी शुद्ध बिक्री में 3.5 प्रतिशत तक की तेजी दर्ज कर सकती है।