जून, 2008 को समाप्त पहली तिमाही के दौरान यहां तक कि सरकारी स्वामित्व वाली रिफाइनरियों ने अपने जमा स्टॉक के बलबूते अब तक का सबसे अधिक मार्जिन दर्ज किया।
लेकिन रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड जो दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी रिफाइनरी है, के मार्जिन में बढ़त की वह धार नहीं दिखी और मार्जिन उम्मीद से कम, मामूली इजाफे के साथ बढ़ा। यह पहली तिमाही है जिसमें मुकेश अंबानी की कंपनी ने सरकारी रिफायइनरी कंपनियों की तुलना में कम मार्जिन कमाया है।
3.3 करोड़ टन प्रति वर्ष क्षमता वाली या फिर कहें कि भारतीय रिफाइनिंग की कुल क्षमता में 22 प्रतिशत का योगदान देने वाली रिलायंस रिफाइनरी निम् स्तर के कच्चे तेल का इस्तेमाल कर बेहतरी गुणवत्ता वाले पेट्रोलियम उत्पाद बना सकते हैं। इससे कंपनी को अधिक मार्जिन कमाने का मौका मिलता है। कंपनी पर नजर बनाए हुए मुंबई के एक विश्लेषक का कहना है, ‘यह काफी हैरान कर देने वाला है कि रिलायंस के रिफाइनरी मार्जिन में विकास कम रहा। यह बाजार उम्मीदों से काफी कम है।’
रिलायंस रिफाइनरी मार्जिन 30 जून, 2008 को समाप्त तिमाही में 15.7 डॉलर प्रति बैरल रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की जून तिमाही में 15.4 डॉलर प्रति बैरल था। इस तिमाही में विश्लेषकों को कंपनी ने 17 डॉलर प्रति बैरल मार्जिन की उम्मीद थी। सरकारी रिफाइनरी जैसे मंगलूर रिफाइनरी ऐंड पेट्रोकेमिकल्स (एमआरपीएल) का जून, 2008 तिमाही में रिफाइनिंग मार्जिल 18.3 डॉलर प्रति बैरल रहा, जबकि इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) का मार्जिन 16.81 डॉलर प्रति बैरल रहा। भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन की कोच्ची रिफाइनरी ने समान तिमाही में 18.65 डॉलर प्रति बैरल का मार्जिन दर्ज किया।
यह परिणाम उस समय देखने को मिले जब कांग्रेस सरकार को नया-नया समर्थन देने वाली समाजवादी पार्टी ने निजी सेक्टर रिफाइनिंग कंपनियों के विंडफॉल मुनाफा पर कर लगाने की मांग की थी। सरकारी रिफाइनिंग कंपनियों के मार्जिन हालांकि उम्मीद है कि इस वित्त वर्ष की बाकी बची हुई तिमाहियों में घटेंगे, क्योंकि कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पाद की कीमतें घट रही हैं। दिल्ली के एक विश्लेषक का कहना है, ‘कम जटिलता वाली रिफाइनरियां जैसे सरकारी स्वामित्व वाली रिफाइनरियां आगे भी अपना अधिक मार्जिन बनाए रखने में मुश्किलों का समाना करेंगी।
बाकी पूरे वित्त वर्ष में उनकी वृध्दि दर 10 डॉलर प्रति बैरल पर गिर कर पहुंच जाएंगी।’ उनका कहना है कि साल के अंत तक रिलायंस रिफाइनरी का का मार्जिन बढ़कर 17 डॉलर प्रति डॉलर तक पहुंच सकता है। पिछली तिमाही में सरकारी रिफाइनरियों का अधिक मार्जिन मुख्य तौर पर स्टॉक से मिलने वाले अधिक लाभ की वजह से था। एमआरपीएल का समान तिमाही में 11 डॉलर प्रति बैरल स्टॉक लाभ रहा, जबकि आईओसी का यह आंकड़ा लगभग 6 डॉलर प्रति बैरल था। विश्लेषकों का कहना है कि दूसरी तरफ रिलायंस का स्टॉक लाभ 1 डॉलर प्रति बैरल से हल्का सा ज्यादा था।
स्टॉक प्रबंधन
कंपनी अप्रैल जून
2007 2008
रिलायंस इंडस्ट्रीज 15.40 15.70
इंडियन ऑयल 10.74 16.81
मंगलूर रिफाइनरी 8.76 15.89
एचपीसीएल (मुंबई) 9.04 18.03
एचपीसीएल (विजाग) 7.80 17.05
बीपीसीएल (कोच्चि) 7.97 18.65
बीपीसीएल (मुंबई) 6.50 9.29
भारतीय रिफाइनरी कंपनियों का मर्जिन (डॉलरबैरल)