आम तौर पर नौकरी देने के मामले में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र सबसे आगे रहता है मगर जुलाई में होटल, बीमा, शिक्षा, अकाउंटिंग और आर्किटेक्चर जैसे क्षेत्रों में भर्ती की रफ्तार बढ़ी है। सॉफ्टवेयर सेवाओं और दूरसंचार क्षेत्र में पिछले साल के इसी महीने की तुलना में इस साल जुलाई में भर्ती के लिहाज से नकारात्मक रुझान दिखा है। यह जानकारी नौकरी डॉट कॉम के एक लाख से अधिक ग्राहकों के डेटा पर आधारित शोध से मिली है।
जुलाई महीने में टाटा कंसंल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने 12,000 से अधिक कर्मचारियों की छंटनी की घोषणा करके पूरे आईटी उद्योग के नौकरी के बाजार में हलचल मचा दी और ऐसी चिंताएं बढ़ गई हैं कि इस क्षेत्र में भर्ती पर बड़ा दबाव बना रहेगा। नौकरी डॉट कॉम के शोध के मुताबिक होटल और पर्यटन से जुड़े क्षेत्र की भर्ती में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि बीमा और शिक्षा के क्षेत्रों में क्रमशः 22 प्रतिशत और 16 प्रतिशत की शानदार वृद्धि देखी गई। इसके परिणामस्वरूप जुलाई में कुल मिलाकर दफ्तरों से जुड़ी भर्ती में 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। दूसरी ओर आईटी और सॉफ्टवेयर सेवाओं की भर्ती में 1 प्रतिशत की कमी आई और दूरसंचार सेवाओं की भर्ती में जुलाई में 9 प्रतिशत की कमी आई।
हालांकि, दिलचस्प बात यह है कि कुल मिलाकर ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) में भर्ती में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। कई विश्लेषकों का कहना है कि नौकरियों के मौके आईटी क्षेत्र से अब जीसीसी में स्थानांतरित होते दिख रहे हैं। जीसीसी से जुड़ी भर्ती के लिए मुंबई अहम केंद्र बना हुआ था और जुलाई महीने में इसमें 18 प्रतिशत की बड़ी वृद्धि देखी गई।
निश्चित रूप से, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग (एआई/एमएल) विशेषज्ञों की मांग लगातार बनी हुई है और भर्ती में 41 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई क्योंकि एआई को लागू करने वाली कई कंपनियां या स्टार्टअप ऐसी प्रतिभाओं की तलाश में हैं जिनमें एआई से जुड़े कौशल हों।
जहां तक फ्रेशर की भर्ती का सवाल है उसमें 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है लेकिन इसमें गैर-आईटी सेवाओं जैसे तेल एवं गैस, रियल एस्टेट और शिक्षा क्षेत्रों में भर्ती के रुझान का असर है। लेकिन 16 साल से अधिक अनुभव वाले अधिकारियों की भर्ती के लिए यह वृद्धि 13 प्रतिशत तक रही जिसमें फार्मा, बायोटेक, बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ)और सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम सेवाओं (आईटीईएस) की अहम भूमिका रही।
शोध के मुताबिक दक्षिण भारत के शहरों में फ्रेशर की भर्ती में अच्छी-खासी बढ़ोतरी देखी गई जिसमें कोयंबटूर (17 प्रतिशत) और कोच्चि (15 प्रतिशत) सबसे आगे थे। हालांकि, चेन्नई (32 प्रतिशत वृद्धि), दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (31 प्रतिशत) जैसे महानगरों और पुणे (22 प्रतिशत) जैसे बड़े शहरों में यूनिकॉर्न में होने वाली भर्ती में उछाल देखी गई।