रियल एस्टेट कंपनियों ने जीएसटी परिषद के सुधारों का स्वागत किया है। उन्हें उम्मीद है कि इससे खरीदारों की क्षमता बढ़ेगी जिससे आवासों की मांग बढ़ सकती है। कच्चे माल की लागत कम होने से डेवलपरों को मदद मिलने और परियोजना के पूरा होने की संभावना में भी वृद्धि होगी। परिषद ने सीमेंट पर जीएसटी दर 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दी है। सैंड लाइम ईंटों या स्टोन इनले वर्क और ग्रेनाइट ब्लॉक पर दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई है। जेएलएल के मुख्य अर्थशास्त्री डॉ. सामंतक दास ने कहा कि परियोजना के प्रकार और सीमेंट लागत में बचत के आधार पर मकानों की कीमतों में 1 से 1.5 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।
सनटेक रियल्टी के चेयरपर्सन और प्रबंध निदेशक कमल खेतान ने कहा, ‘सीमेंट और अन्य निर्माण सामग्री पर जीएसटी में यह कटौती बड़ा कदम है, जिससे सीधे निर्माण लागत कम होगी। इस कटौती से डेवलपर कीमतों में स्थिरता बनाए रखने और बेहतर सामर्थ्य के जरिये घर खरीदारों को लाभ पहुंचाने में सक्षम होंगे। इससे परियोजना की बेहतर आर्थिक स्थिति को भी बढ़ावा मिलेगा और आवास एवं शहरी बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ेगा।’
कुल निर्माण लागत में सीमेंट की हिस्सेदारी 4 से 5 प्रतिशत रहती है जबकि समूची निर्माण सामग्री की हिस्सेदारी 25 से 30 प्रतिशत होती है। फरांदे स्पेसेज के प्रबंध निदेशक आकाश फरांदे के अनुसार इन सुधारों से डेवलपरों की इनपुट लागत में लगभग 10 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है।
उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार के कदम से किफायती और मध्य आय वाली श्रेणी को सबसे ज्यादा फायदा होने की संभावना है। हीरानंदानी समूह के संस्थापक और चेयरपर्सन डॉ. निरंजन हीरानंदानी ने कहा, ‘विशेष रूप से किफायती आवासों को फायदा होगा क्योंकि निर्माण लागत में कमी का लाभ मकान खरीदारों को दिया जा सकता है। इससे मकान और ज्यादा सुलभ होंगे। साथ ही सरकार के ‘सभी के लिए आवास’ दृष्टिकोण को भी समर्थन मिलेगा।’
सिग्नेचर ग्लोबल (इंडिया) के संस्थापक और चेयरपर्सन प्रदीप अग्रवाल का मानना है कि आगामी त्योहारी सीजन के मद्देनजर ये सुधार काफी खास हैं। उन्होंने कहा, ‘इनसे अंततः उपभोक्ताओं के लिए मकानों की कीमतें कम होंगी और सभी श्रेणियों में टिकाऊ मांग सृजित होगी।’
एम5 महेंद्र ग्रुप के उपाध्यक्ष महेंद्र नागराज ने कहा कि इन सुधारों का सीधा असर परिचालन मार्जिन पर पड़ेगा और परियोजना बजट प्रबंधन में लचीलापन आएगा। इससे बेहतर खरीदारी, तीव्र क्रियान्वयन तथा ज्यादा प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण की गुंजाइश बनेगी, खास तौर पर मूल्य के प्रति संवेदनशील शहरी बाजारों में। जीएसटी संशोधन से बचत बढ़ने, खपत को बढ़ावा मिलने, नकदी में सुधार और कारोबारी मनोबल में इजाफे की उम्मीद है।