पिछले कुछ वर्षों से देश का रियल एस्टेट उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। मकान व ऑफिस की मांग में इजाफा हुआ है। जानकारों के मुताबिक अगला एक दशक भी इस उद्योग के लिए अच्छा साबित होने वाला है और इस उद्योग का आकार 1.5 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच सकता है। यह अनुमान संपत्ति सलाहकार फर्म नाइट फ्रैंक इंडिया और उद्योग संगठन कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) ने ‘इंडियन रियल एस्टेट: ए डिकेड फ्रॉम नाउ’ नाम से जारी रिपोर्ट में लगाया है।
अगले दशक में तेजी से बढ़ेगा रियल्टी बाजार का आकार
नाइट फ्रैंक इंडिया व सीआईआई की रिपोर्ट ने साल 2034 तक भारतीय रियल एस्टेट का मार्केट साइज करीब तीन गुना बढ़कर 1.5 लाख करोड़ डॉलर पहुंचने का अनुमान लगाया है। वर्ष 2023 में यह करीब 48,200 करोड़ डॉलर था। अगले एक दशक में रियल एस्टेट की आर्थिक उत्पादन में हिस्सेदारी 7.3 फीसदी से बढ़कर 10.5 फीसदी होने का अनुमान है।
रियल एस्टेट बाजार बढ़ने की कई वजहें हैं जैसे युवाओं की संख्या बढ़ना, शहरीकरण का विस्तार, ढांचागत विकास, घरेलू विनिर्माण बढ़ने साथ ही देश की जीडीपी बढ़कर 10.1 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने की संभावना आदि।
2034 तक कितनी होगी मकानों की मांग?
तेजी से बढ़ रहे रियल एस्टेट उद्योग में अगले एक दशक में भी सबसे बड़ी हिस्सेदारी आवासीय क्षेत्र की होगी। 2034 तक भारत की जनसंख्या बढ़कर 155 करोड़ हो सकती है। जिसमें 42.5 फीसदी जनसंख्या शहरों में रहने वाली होगी। नाइट फ्रैंक इंडिया और सीआईआई की रिपोर्ट के अनुसार इस बढ़ती जनसंख्या के बीच इनको शहरों में रहने के लिए 2024 से 2034 के बीच 7.8 करोड़ अतिरिक्त मकानों की आवश्यकता होगी।
2034 तक जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा निम्न-मध्यम और उच्च-मध्यम आय वर्ग का होने का अनुमान है। किफायती मकानों की मांग धीरे धीरे मध्यम कीमत वाले मकानों की ओर तब्दील हो रही है।
भारत में हाई-नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स (एचएनआई) और अल्ट्रा हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स (यूएचएनआई) परिवारों का अनुपात 2034 तक 3 फीसदी से बढ़कर 9 फीसदी होने की उम्मीद है। इससे लग्जरी मकानों की मांग में अच्छी खासी बढ़ोतरी हो सकती है। अगले एक दशक में आवासीय बाजार बढ़कर 90,600 करोड़ डॉलर होने का अनुमान है।
कमर्शियल रियल एस्टेट में भी आएगी तेजी
अगले एक दशक में आवासीय के साथ ही कमर्शियल रियल एस्टेट बाजार में भी बूम आने वाला है। आवासीय के बाद दूसरे नंबर पर ऑफिस मार्केट की हिस्सेदारी रहने वाली है। रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान इस मार्केट के 12,500 करोड़ डॉलर होने की संभावना है। देश के 8 प्रमुख शहरों में 2008 में ऑफिस स्टॉक 27.8 करोड़ वर्ग फुट था,जो बीते कुछ वर्षों में बढ़कर 90 करोड़ वर्ग फुट से अधिक हो गया है।