रियल एस्टेट

रियल एस्टेट निवेश के लिए भारत टॉप वैश्विक स्थलों में शामिल, रीपो दर कटौती से निवेशकों का बढ़ेगा भरोसा

भारत भूमि एवं विकास स्थलों के लिए शीर्ष 10 वैश्विक सीमा पार निवेश स्थलों में 7 वे पायदान पर है। रीपो रेट में लगातार कटौती से आवास क्षेत्र में निवेश में आ सकती है तेजी।

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रामवीर सिंह गुर्जर   
Last Updated- June 11, 2025 | 4:33 PM IST

वैश्विक निवेश में ऐशिया पैसिफिक रीजन (APAC) अपना प्रभुत्व बनाए हुए है और समग्र पूंजी प्रवाह में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस रीजन के प्रमुख देशों में भारत भी अहम भूमिका में है और यह भूमि एवं विकास स्थलों के लिए शीर्ष 10 वैश्विक सीमा पार निवेश स्थलों में बना हुआ है।

वैश्विक सीमा पार निवेश स्थलों में ऐशिया पैसिफिक के कौन से देश शामिल?

संपत्ति सलाहकार फर्म कॉलियर्स की ‘Global Capital Flows June 2025’ नाम से जारी रिपोर्ट में पहली तिमाही में वैश्विक पूंजी के शीर्ष 10 स्रोतों में सिंगापुर, जापान और हांगकांग को शामिल किया गया। जिसमें सिंगापुर चौथे, जापान सातवें और हांगकांग दसवें स्थान पर है। जापान और ऑस्ट्रेलिया स्थायी परिसंपत्तियों के लिए शीर्ष 10 वैश्विक सीमा पार पूंजी स्थलों में शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार एशिया पैसिफिक भूमि और विकास स्थलों के लिए सबसे आकर्षक क्षेत्र बना हुआ है। जिसके शीर्ष 10 बाजारों में से 7 ऐशिया पेसिफिक रीजन के हैं। जिनमें से अधिकांश ने इस वर्ष पहली तिमाही में अपनी पांच साल की औसत गतिविधि हिस्सेदारी को बनाए रखा है या उसमें सुधार किया है।

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चीन और सिंगापुर इस सूची में शीर्ष पर हैं। इसके बाद पांचवें से सातवें स्थान पर ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया और भारत हैं। हांगकांग और जापान नौवें और दसवें स्थान पर हैं। चीन ने सीमा पार की सभी गतिविधियों में 80 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ बाजार में अपना दबदबा बनाए रखा है। साथ ही एशिया पेसिफिक रीजन में ऑफिस सेगमेंट सबसे ज्यादा मांग वाला बना हुआ है। इसके बाद औद्योगिक और खुदरा क्षेत्र का स्थान है, जबकि वैश्विक स्तर पर मल्टीफैमिली सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला क्षेत्र है।

वैश्विक निवेश प्रवाह में भारत की क्या है भूमिका?

वैश्विक सीमा पार निवेश में भारत की भूमिका भी अहम है। कॉलियर्स की इस रिपोर्ट के अनुसार भारत भूमि एवं विकास स्थलों के लिए शीर्ष 10 वैश्विक सीमा पार निवेश स्थलों में शुमार है और यह 7 वें पायदान पर है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत एशिया पैसिफिक रीजन में एक प्रमुख निवेश गंतव्य के रूप में उभर रहा है, जो मजबूत बुनियादी बातों, परिपक्व होते रियल एस्टेट बाजार और भूमि एवं विकास परिसंपत्तियों में बढ़ती रुचि से प्रेरित है। अनुकूल नीतिगत उपाय और निरंतर बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने से निवेश का माहौल और बेहतर हो रहा है।

कॉलियर्स इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बादल याग्निक ने कहा, “भारतीय रियल एस्टेट में संस्थागत निवेश 2025 की पहली तिमाही में 1.3 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल की तुलना में 31 फीसदी अधिक है। यह इस क्षेत्र की मजबूती और निवेशकों के विश्वास को दर्शाता है। वैश्विक और क्षेत्रीय पूंजी भारत में खासकर भूमि और विकास परिसंपत्तियों में लगातार आ रही है। ऐसा परिपक्व होते बाजार और विविध पूंजी निवेश अवसरों के कारण हो रहा है। आवासीय क्षेत्र में वैश्विक निवेशकों की बढ़ती भागीदारी के साथ-साथ जीवन विज्ञान (life sciences) और डेटा केंद्रों जैसे उभरते क्षेत्रों के लिए बढ़ती मांग भारत में रियल एस्टेट निवेश को और मजबूत करेगी।

साथ ही मजबूत मांग के बुनियादी तत्व, मजबूत आपूर्ति पाइपलाइन और विकास प्लेटफार्म और वैकल्पिक निवेश संरचनाएं वाणिज्यिक के साथ साथ औद्योगिक और वेयरहाउसिंग क्षेत्रों में आकर्षक अवसर प्रस्तुत करना जारी रखेंगे।

रीपो दर में कटौती से आगे आवास क्षेत्र में आएगा पूंजी निवेश

रीपो दर में लगातार तीसरी बार कटौती से देश के रियल एस्टेट क्षेत्र में आगे और निवेश आ सकता है। कॉलियर्स इंडिया के राष्ट्रीय निदेशक और अनुसंधान प्रमुख विमल नादर ने कहा कि 2025 की पहली तिमाही में कुल संस्थागत निवेश में विदेशी निवेशकों का योगदान करीब 40 फीसदी रहा, जो भारतीय रियल एस्टेट में उनकी दीर्घकालिक रुचि की पुष्टि करता है। विदेशी निवेशकों के लिए ऑफिस परिसंपत्तियां प्रमुख फोकस बनी हुई हैं। बढ़ती मांग, अच्छे रिटर्न और सकारात्मक घरेलू दृष्टिकोण के कारण आवासीय निवेश में भी तेजी आ रही है।

रीपो दर में लगातार कटौती ने बेंचमार्क उधार दर को 5.5 फीसदी पर ला दिया है, जो तीन वर्षों में सबसे कम है। इससे निवेशकों की धारणा को और बढ़ावा मिलने के साथ निकट से मध्यम अवधि में रियल एस्टेट परिसंपत्ति वर्गों विशेष रूप से आवासीय खंड में अधिक पूंजी निवेश की सुविधा मिलने की संभावना है।

First Published : June 11, 2025 | 4:33 PM IST